पोषक क्षेत्र की रचनात्मक गतिविधियों में भागीदारी भी महाविद्यालय की जिम्मेदारी : प्रो रवींद्र

नगर के एमजेके कॉलेज में स्नातक सत्र 25-29 के मानविकी संकाय यथा हिन्दी, संस्कृत,अंग्रेजी, उर्दू, दर्शन शास्त्र के नव नामांकित छात्र-छात्राओं का सत्रारंभ उन्मुखीकरण किया गया.

By SATISH KUMAR | July 25, 2025 6:18 PM
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बेतिया. नगर के एमजेके कॉलेज में स्नातक सत्र 25-29 के मानविकी संकाय यथा हिन्दी, संस्कृत,अंग्रेजी, उर्दू, दर्शन शास्त्र के नव नामांकित छात्र-छात्राओं का सत्रारंभ उन्मुखीकरण किया गया. जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य प्रो.(डॉ) रवींद्र कुमार चौधरी ने की. अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य प्रो. (डॉ) रवींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि महाविद्यालय सिर्फ उच्च शिक्षा के लिए वर्ग संचालन तक ही सीमित नहीं होता है, बल्कि इसकी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पोषक क्षेत्र सामाजिक गतिविधियों रचनात्मक भागीदारी भी होती है. महाविद्यालय अपने सर्वांगीण ज्ञान के माध्यम से समाज की दशा और दिशा को भी बदलने का कार्य करता है लेकिन यह तभी संभव है जब आप महाविद्यालय में नियमित आयेंगे और सभी प्रकार की गतिविधियों में भाग लेंगे. महाविद्यालय में अध्यापकों की कमी के बावजूद एक से एक योग्य प्राध्यापक हैं लेकिन वे तभी सफल होंगे जब आप सबमें सिखने की ललक होगी. संगीत विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. पीके चक्रवर्ती ने कहा कि महाविद्यालय में संगीत और संस्कृत में सालों से कोई प्राध्यापक विश्वविद्यालय की तरफ से नहीं आए बावजूद इसके जितना संभव हो सकता है मैं संगीत में बच्चों को सिखाने का प्रयास कर रहा हूं. हिन्दी-विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. अंशिता शुक्ला ने कहा कि हिन्दी में प्रथम दृष्टया देखने में जितना आसान लगता है उतना है नहीं. जब तक आप गंभीर हो कर इसको पढ़ेंगे नहीं तब तक इसे समझने में कठिनाई आयेगी. इस अवसर पर प्राध्यापिका डाॅ.शैल कुमारी वर्मा ने कहा कि आज छात्रों में सबसे बड़ी कमी संस्कार की है. मूल्यहीनता ने ज्ञान की परिभाषा हीं बदल दी है. हिन्दी संस्कार की भाषा है और यह व्यक्ति के संस्कार को परिमार्जित करने का काम करती है. उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सफी अहमद ने कहा कि हिन्दी और उर्दू दोनों हिन्दुस्तानी भाषा है और दोनो जुड़वा बहने हैं. दोनों का सम्पूर्ण ज्ञान हीं आपके व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है. सत्रारंभ कार्यशाला का संचालन करते हुए कहा कि हुए कहा कि आज के उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या शिक्षक और छात्र के बीच आपसी संवादहीनता है. आज महाविद्यालय में अधिकांश छात्र-छात्राओ का उद्देश्य नामांकन, परीक्षा और प्राप्त हो रहे सरकारी लाभों को लेने तक सीमित हो गया है. जब तक छात्र-छात्रा इससे उपर उठ कर वर्ग संचालन का हिस्सा नहीं बनेंगे, तब तक महाविद्यालय का उद्देश्य सफल नहीं हो पायेगा. इस अवसर पर महाविद्यालय के मानविकी संकाय के डॉ. शमी हसन और डॉ. विद्यासागर उपाध्याय भी छात्र-छात्राओं को संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन भूगोल विभाग के प्राध्यापक डॉ योगेन्द्र सम्यक ने किया.

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