पश्चिम चंपारण के 165 स्कूलों के जर्जर भवन जान जोखिम में डाल पढ़ने को विवश हैं हजारों विद्यार्थी

छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 से ही लागू है.जिसके तहत स्कूली शिक्षा अब बच्चों का मौलिक अधिकार है.

By SATISH KUMAR | July 26, 2025 6:07 PM
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रवि ””””रंक””””, बेतिया छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 से ही लागू है.जिसके तहत स्कूली शिक्षा अब बच्चों का मौलिक अधिकार है.बावजूद इसके जिला के कुल 2636 सरकारी स्कूलों में से 165 स्कूलों के भवनों की स्थिति जर्जर और बहुत खराब होने के बावजूद उसमें बैठकर हजारों विद्यार्थी पढ़ने को विवश और अभिशप्त हैं. इनमें से अधिसंख्य की छत और दीवारें जर्जर व बदहाल स्थिति में हैं.छत की निचली परत आए दिन गिरती रहती है. खिड़की और दरवाजे भी या तो नहीं हैं या क्षतिग्रस्त हैं. जिससे इसमें बैठ कर पढ़ने वाले विद्यार्थियों बच्चों की जान को खतरा बना रहता है. बारिश में तो छत से पानी टपकता है और चारों ओर दीवारें फटी होने के कारण सांप-बिच्छू का खतरा भी मंडराता रहता है.ऐसी खतरनाक स्थितियों में बच्चे दहशत के आलम में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. ””””यू डायस”””” पर स्थिति अपलोड कर के बार बार गुहार पर भी सुनवाई नहीं ऐसे स्कूलों चनपटिया अंचल क्षेत्र में भैंसही के युगल किशोर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के जर्जर स्कूल भवन लकड़ी की बल्लियां लगा कर बच्चों को खतरे से बचाने की पहल की गई है.वही नगर निगम क्षेत्र के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सन सरैया के जर्जर स्कूल भवन की छत पर बीते साल 4.98 लाख की लागत से फ्री फैब नामक करकट का क्लास रूम बना कर बच्चों पर खतरा को और बढ़ाने का कार्य शिक्षा विभाग ने किया है.इसी प्रकार सिकटा अंचल के कन्या प्रोजेक्ट स्कूल के पुराने भवन की हालत कुछ ऐसी ही है. योगापट्टी अंचल में दोनवार उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के पुराने स्कूल भवन की हालत भी बढ़ बद से बदतर होने के बावजूद शिक्षा विभाग में सुधार पर इनकी कोई सुनवाई नहीं है. नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर ऐसे दर्जनों स्कूलों के बदहाल और जानलेवा होने की जानकारी शिक्षक शिक्षिकाओं और प्रधानाध्यापकों ने दी है. वर्ष 2024-25 के बजट में भवन निर्माण मद में करीब 33 करोड़ स्वीकृत में मात्र 13 करोड़ ही खर्च सुरक्षित क्लास रूम के अभाव में अभाव में जिला के स्कूलों में जैसे तैसे पढ़ाई जारी रहने के बावजूद सुधार का प्रयास नदारद है.साल शुरू में ही तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी रजनीकांत प्रवीण के विरुद्ध निगरानी विभाग की कार्रवाई में करोड़ों की काली कमाई का खुलासा हुआ है.नियमों को ताख पर रख कर करोड़ों का वारा न्यारा होने के बावजूद वर्ष 2024-25 के बजट में नया क्लास रूम और भवन निर्माण मद में करीब 33 करोड़ स्वीकृत होने के बावजूद मात्र 13 करोड़ ही खर्च हो पाने की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के जानकार सूत्रों ने दी है. जर्जर घोषित स्कूल भवनों को विधिवत जांच के बाद कार्रवाई का निर्णय शीघ्र: डीपीओ जिले की इस समस्या को लेकर बार बार कोशिश के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र कुमार का पक्ष ज्ञात नहीं हो सका. वही समग्र शिक्षा अभियान की डीपीओ गार्गी कुमारी ने बताया कि जिलाभर से जर्जर बदहाल घोषित स्कूल भवनों को विधिवत जांच के बाद कार्रवाई का निर्णय शीघ्र ही लिया जाएगा. पुराने विद्यालय भवन की मरम्मती के लिए 50 हजार तक का प्रावधान है.कम खराब भवनों की मरम्मती के अलावा ज्यादा खराब और खतरनाक स्थिति वाले विद्यालय भवनों के बारे में नव निर्माण का प्रस्ताव विभागीय आदेश के आलोक में शीघ्र ही बिहार राज्य शैक्षिक आधारभूत संरचना विकास निगम को भेजा जाएगा.

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