बेतिया. बगहा – छितौनी रोड निर्माण के दौरान 27 वर्ष पहले हुए मुंशी की हत्याकांड की ट्रायल में पूरा मामला ही पलट गया. जिला जज चार मानवेंद्र मिश्रा की कोर्ट ने स्पीडी ट्रायल के तहत प्रतिदिन सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील, साक्ष्य व सबूतों को देखते हुए कांड के सूचक विपिन कुमार सिंह को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही 302 में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. आर्म्स एक्ट की धारा 27 में पांच वर्षों का कठोर कारावास व 10 हजार का जुर्माना, राशि जमा नहीं करने पर अलग से छह-छह माह की अतिरिक्त कारावास सजा भुगतनी होगी. कोर्ट का निर्णय आने के साथ ही जहां विपिन कुमार सिंह फफक पड़ा, वहीं पीड़ित परिजनों की आंखों से आंसू झर-झर गिरने लगे. उन्हें इंसाफ मिला. उधर कोर्ट ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता बृजेश भारती एवं अभियोजन पदाधिकारी मनु राव की ओर से उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों को अवलोकन किया तो साफ हो गया कि हत्याकांड में पूरी तरह से स्क्रिप्ट तैयार की गई थी. ———————— क्या अपराधी इतना दयालु था… क्या अपराधी इतना दयालु था कि वह गन व राइफल लिए खड़े दो व्यक्तियों टीपू पांडेय एवं विपिन कुमार सिंह में से टीपू पांडेय की हत्या कर दिया. विपिन कुमार सिंह, जो इस घटना का प्रत्यक्षदर्शी साक्षी था, को जीवित इसलिए छोड़ दिया कि वह उनके खिलाफ पुलिस एवं न्यायालय में साक्ष्य देकर सजा दिलवा सके. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो टीपू पांडेय के शरीर में जनेऊ था. मौके पर राइफल नहीं था. मृतक के शरीर पर ब्लैकनिंग साइन मिला जिससे स्पष्ट था कि गोली सटाकर मारी गई. घटनास्थल पर एक ही गोली चलने का साक्ष्य मिला, तो दूसरा गोली कहां चला. कच्ची सड़क पर एक भी व्यक्ति के आने-जाने के पैरों के निशान तक नहीं थे. हत्या के बाद अपराधियों ने पैरों के चिन्ह को भी मिटा दिया. बचाव पक्ष की सभी दलीलें गलत साबित हुईं. कोर्ट में ट्रायल के दौरान ऐसे पलट गया बाजी कोर्ट में ट्रायल के दौरान विपिन कुमार सिंह द्वारा घटना का कारण यह बताया गया कि मालिक गुड्डू गुप्ता द्वारा किए जा रहे कार्य में बाधा पहुंचाना, रंगदारी मांगने के उद्देश्य से दहशत फैलाने के लिए बदमाशों ने टीपू पांडेय को मेरे सामने आकर गोली मार दी और भाग निकले. पुलिस अनुसंधान व कोर्ट में गुड्डू गुप्ता ने ऐसा कोई लिखित अथवा मौखिक साक्ष्य नहीं दिया कि उनसे किसी गैंग ने रंगदारी की मांग कभी की थी. रंगदारी नहीं दिए जाने पर कार्य में बाधा पहुंचाने अथवा परिणाम भुगतने की चेतावनी जैसा कोई सनहा, प्राथमिकी, वरिष्ठ पदाधिकारी को सूचना संबंधी कोई आवेदन जो गुड्डू गुप्ता के द्वारा पूर्व में दिया गया हो, प्रस्तुत नहीं किया गया. विपिन कुमार सिंह द्वारा इस घटना के संबंध में दी गई लिखित तहरीर में “गोली की आवाज पर साइट पर कार्य कर रहे रामाशंकर सहनी, भरत कुमार, ध्रुप चौधरी (लेवर मेठ) बहुत से लोग आए, जो सभी बदमाशों को भागते हुए देखा है ” उल्लेखित है किंतु कोर्ट में एक भी साक्षी विपिन कुमार सिंह के बयान के समर्थन में नहीं आया. पुलिस की जांच में ही पलट गई थी सूचक की थ्योरी विपिन कुमार सिंह की तहरीर पर नौरंगिया थाना कांड दर्ज किया गया था. पुलिस की जांच में ही विपिन कुमार सिंह के द्वारा गढ़ी गई स्क्रिप्ट पलट गई. कांड के आईओ राजीव रंजन ने तीन वर्षों तक जांच के बाद पाया कि घटनास्थल पर दूसरे अपराधियों के आने का कोई साक्ष्य नहीं मिला. विपिन कुमार सिंह के गन से निकली गोली से ही टीपू की हत्या हो गई. पुलिस ने विपिन कुमार सिंह पर चार्जशीट सौंप दी. कोर्ट में कांट्रेक्टर के खिलाफ चल रहा अलग से ट्रायल पुलिस जांच में कांट्रेक्टर गुड्डू गुप्ता निर्दोष पाया गया था. कोर्ट में आए साक्ष्यों को देखते हुए पुलिस अनुसंधान को अस्वीकृत करते हुए गुड्डू गुप्ता पर भी संज्ञान लिया गया. आरोपित गुड्डू गुप्ता संज्ञान आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट गया, जहां उसे राहत नहीं मिली है. अब कांड की ट्रायल से उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. इसी माह फैसला आ सकता है. घर से बुलाकर हुई थी टीपू पांडेय की हत्या बगहा के बनकटवां गांव के रहने वाले टीपू पांडेय, बगहा बाजार के रहने वाले सुशील कुमार गुप्ता के पुत्र गुड्डू गुप्ता जो कांट्रेक्टर हैं, उनके यहां मुंशी का कार्य करते थे. 1998 में गुड्डू गुप्ता के साथ टीपू पांडेय व बबुई टोला के रहने वाले विपिन कुमार सिंह साथ में आकर घर से बुलाकर ले गए. मदनपुर-छितौली रेल लाइन के बांध पर काम सुबह 8:45 बजे साइट पर पहुंचे जहां उनकी हत्या हो गई.
संबंधित खबर
और खबरें