Buxar News: पुराने तकनीक की खेती में 15 फीसदी कम पानी की होती है जरूरत : डॉ प्रदीप कुमार
जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों के चेहरे मायूस हैं. पर किसानों इससे घबराने की कोई बात नहीं
By RAVIRANJAN KUMAR SINGH | July 24, 2025 8:13 PM
डुमरांव .
जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों के चेहरे मायूस हैं. पर किसानों इससे घबराने की कोई बात नहीं, उक्त बातें वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव के सहायक प्राध्यापक सह कनीय वैज्ञानिक सस्य विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने जानकारी देते हुए कही, उन्होंने बताया कि इन दिनों इलाके में कम बारिश के होने से किसानों के चेहरे मायूस हैं पर इससे किसानों को घबराने की कोई बात नहीं, डॉ प्रदीप ने बताया कि कम पानी के स्थिति में भी सीधी धान की बुआई किसानों के लिए अच्छा विकल्प है. – खरपतवार नियंत्रण अत्यावश्यकसीधी बिजाई वाले धान में खरपतवार नियंत्रण अत्यावश्यक है. धान की सीधी बुआई में प्रथम 2 से 3 सप्ताह तक खेत में खरपतवार रहित अवस्था प्रदान करना उचित पैदावार के लिए आवश्यक है. सूखी अवस्था में धान की बुआई करने के बाद पेंडीमिथालिन 30 प्रतिशत की 3.3 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर बुआई के दूसरे-तीसरे दिन बाद परंतु अंकुरण के पूर्व छिड़काव करें.
परंपरागत खेती की तुलना में 15 फीसद कम पानी की जरूरत होती है. सीधी बिजाई से धान की फसल जल्द तैयार भी होती है. मॉनसून में देरी और कम बारिश ने धान की खेती का पूरा प्रचलन बदल कर रख दिया है. किसानों ने वैसी तकनीक पर भरोसा जताया है जिसका चलन पहले से तो था, लेकिन उसका इस्तेमाल कम हो रहा था. हालांकि अब यह इस्तेमाल तेज हो गया है. वजह है, कम बारिश और मॉनसून की अनिश्चितता.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
यहां बक्सर न्यूज़ (Buxar News), बक्सर हिंदी समाचार (Buxar News in Hindi),ताज़ा बक्सर समाचार (Latest Buxar Samachar),बक्सर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Buxar Politics News),बक्सर एजुकेशन न्यूज़ (Buxar Education News),बक्सर मौसम न्यूज़ (Buxar Weather News)और बक्सर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .