पुल से भारी वाहनों का आवागमन बंद
लेकिन एनएचआई क्षतिग्रस्त रेलिंग को मरम्मत कराने के प्रति लापरवाह बना हुआ है. जाहिर है कि जर्जर होने के कारण तकरीबन एक दशक से उस पुल से भारी वाहनों का आवागमन बंद है, पर ट्रैक्टर, दोपहिया व चार पहिया वाहनों का परिचालन अभी भी होता है. ऐसे में उसके समानांतर बने नये पुल पर भीड़ व जाम से बचने के लिए छोटी वाहनों के चालक उसी से गुजरना बेहतर समझते हैं.
शाम होते ही पुल पर छा जाता है अंधेरा
जानकार बताते हैं कि नये पुल के अलावा दशकों पूर्व बने पुराने पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी भी एनएचआई को है. लेकिन नये पुल के चालू होने के बाद उसे लावारिश हालत में छोड़ दिया गया है. जर्जर होने के बावजूद लोग उस पुल से भगवान भरोसे आवागमन करते हैं. क्योंकि पुल पर न तो लाइट की व्यवस्था है और न ही कभी रेलिंग मरम्मत की जहमत उठाई जाती है. पुल पर वर्षों पूर्व लाइट के लिए लगाए गए पोल भी जर्जर हो गए हैं. उसपर तार व बल्ब का भी पता नहीं है. इसके चलते शाम होते ही पुल पर अंधेरा का साम्राज्य हो जाता है. जिसका फायदा उठाते हुए असामाजिक तत्व पुल से शराब की तस्करी से लेकर अन्य गलत धंधा को अंजाम देते हैं. क्योंकि अंधेरा होने के चलते उन्हें वह रास्ता काफी मुफीद लगता है. अंधेरा व पुल की खराब हालत के चलते पुलिस भी उस रास्ते से गुजरना नहीं चहती है.
पांच दिन पहले हुआ था स्कॉर्पियो हादसा
पांच दिन पूर्व 20 जून की रात को पुल पर स्कॉर्पियो हादसा हुआ था. स्कार्पियो पर सवार जिले के सिमरी थाना क्षेत्र के दुल्लहपुर के रहने वाले दो युवक उतर प्रदेश से बक्सर की ओर आ रहे थे. उसी समय तेज रफ्तार स्कार्पियो अनियंत्रित हो गई और तकरीबन पंद्रह फीट की चौड़ाई में रेलिंग को तोड़ गंगा में गिर गयी थी. स्कार्पियो की दुर्घटना के बाद लोगों ने प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने व रेलिंग जर्जर होने को लेकर सवाल भी उठाया था. परंतु उसकी जवाबदेही लेने वाला अभी तक कोई नहीं है.
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