बिहार का चमत्कारी बिहारी जी मंदिर: जहां मुगलों को भी भागना पड़ा था उल्टा पांव, आस्था ने कर दिया था कमाल

Bihari Ji Temple: बक्सर में स्थित बिहारी जी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कारों की अनूठी गाथा है. कहा जाता है कि इस मंदिर पर कई बार आक्रमण करने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार अदृश्य शक्तियों ने हमलावरों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.

By Abhinandan Pandey | April 2, 2025 12:48 PM
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Bihari Ji Temple: अगर आप ऐसे चमत्कारी मंदिर की कहानी सुनना चाहते हैं, जहां आस्था की शक्ति ने हमलावरों को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, तो आपको बक्सर के बिहारी जी मंदिर के बारे में जरूर जानना चाहिए. यह वही पवित्र स्थान है जहां मुगलों ने कई बार हमला करने की कोशिश की, लेकिन हर बार वे किसी अदृश्य शक्ति से डरकर भाग खड़े हुए. यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि इतिहास और आध्यात्मिक रहस्यों का अनमोल खजाना भी है. इसकी महिमा ऐसी है कि यहां आने वाला हर भक्त भाव-विभोर हो जाता है. आइए जानते हैं इस रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर की कहानी.

400 साल पुरानी आस्था का प्रतीक

बक्सर से करीब 15 किमी दूर स्थित यह मंदिर 1825 में डुमरांव के तत्कालीन महाराजा बहादुर जयप्रकाश सिंह के आदेश पर बनवाया गया था. हालांकि, इसकी मान्यता 400 साल से भी अधिक पुरानी है. कहते हैं कि यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप को समर्पित है और यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

इस मंदिर से जुड़ा एक और रोचक तथ्य यह है कि भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां और उनके पिता यहां शहनाई बजाया करते थे. उनकी मधुर धुनों से यह मंदिर संगीत और भक्ति का संगम बन जाता था.

जब मुगलों को पीछे हटना पड़ा

इतिहास के पन्नों में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब मुगलों ने इस मंदिर को लूटने की कोशिश की, लेकिन हर बार वे असफल रहे. कहा जाता है कि जब उन्होंने मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया, तो रहस्यमयी शक्तियों के चलते वे भयभीत होकर उल्टे पांव भाग गए. इस चमत्कारी घटना के बाद किसी ने इस मंदिर पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं की.

राजसी भव्यता और दिव्य आरती

बिहारी जी का मंदिर अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए भी जाना जाता है. यहां भगवान की पूजा पूरे राजसी तरीके से होती है. मंदिर में हर दिन पांच बार विशेष आरती होती है:

  • सुबह 4 बजे- बिहारी जी और अन्य देवताओं को जगाने की आरती.
  • सुबह 9 बजे- मुख्य आरती.
  • दोपहर 12 बजे- राज भोग के बाद की आरती.
  • शाम 7 बजे- संध्या आरती.
  • रात 9 बजे- दिन की अंतिम आरती, इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाते हैं.

बक्सर की अन्य प्रसिद्ध जगहें

बक्सर धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का अनोखा संगम है. अगर आप बिहारी जी मंदिर जा रहे हैं, तो इन जगहों को देखना न भूलें-

  • कटौली का मैदान- यह ऐतिहासिक मैदान बक्सर की लड़ाई (1764) का साक्षी रहा है. यहां अंग्रेजों और बंगाल-अवध के नवाब के बीच निर्णायक युद्ध हुआ था.
  • बक्सर फोर्ट- गंगा नदी के किनारे स्थित यह ऐतिहासिक किला बिहार के राजा भोजदेव द्वारा बनवाया गया था और यह बक्सर युद्ध के लिए प्रसिद्ध है.
  • नौलखा मंदिर- भगवान श्रीकृष्ण और राधा को समर्पित इस मंदिर की स्थापना संत बालानंद ब्रह्मचारी की प्रेरणा से हुई थी.

मथुरा-वृंदावन की अनुभूति, बिहारी जी के दर्शन में

जो भक्त मथुरा-वृंदावन नहीं जा पाते, उनके लिए बिहारी जी मंदिर किसी वरदान से कम नहीं. कहते हैं कि यहां दर्शन करने मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

बिहार की इस पावन भूमि पर स्थित बिहारी जी मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और चमत्कारों की अनूठी कहानी भी कहता है. यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है. जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. अगर आप कभी बिहार जाएं, तो इस चमत्कारी मंदिर के दर्शन करना न भूलें. यहां की दिव्यता और भक्ति आपको एक अलौकिक अनुभव से भर देगी, जिसे आप जीवनभर संजोकर रखेंगे.

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