डॉ आंबेडकर सेवा समग्र सेवा अभियान के तहत कुल प्राप्त हुए 52134 आवेदन, मगर 60 फीसद ही हुआ निबटारा

सरकार की महत्वकांक्षी योजना डॉ आंबेडकर समग्र सेवा अभियान के तहत कुल 52 हजार 134 आवेदन जिला प्रशासन को प्राप्त हुआ, मगर निष्पादन हुआ महज 60 फीसद.

By AMLESH PRASAD | July 9, 2025 10:08 PM
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बक्सर. सरकार की महत्वकांक्षी योजना डॉ आंबेडकर समग्र सेवा अभियान के तहत कुल 52 हजार 134 आवेदन जिला प्रशासन को प्राप्त हुआ, मगर निष्पादन हुआ महज 60 फीसद. जिस कारण लोगों को इस योजना से कोई खास फायदा नहीं हुआ. सरकार के द्वारा शिविर के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया गया. शिविर 14 अप्रैल से जिले में चलाया जा रहा था. लगभग दो माह चलाया गया. जब शिविर चल रहा था तो कल्याण विभाग व महादलित विकास मिशन योजना के जारी रैकिंग के अनुसार बिहार में छठवें स्थान प्राप्त था. लेकिन जब शिविर के अंत में रिपोर्ट देखा गया तो पाया गया कि निष्पादन के मामले सिर्फ 60 प्रतिशत ही हुआ है. इस शिविर के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा संचालित 22 योजनाओं को लाभ पहुंचने के उद्देश्य से शिविर का आयोजन किया जा रहा था. शिविर का मुख्य उद्देश्य था कि शिविर के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग सरकार द्वारा चलाये जा रहे हैं योजनाओं से वंचित है उनको शिविर के माध्यम से उन सभी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाये. यह शिविर जिले के सभी पंचायत के सभी गांव के महादलित टोले में आयोजित किया गया था. उन शिविर में जिला अधिकारी समेत जिला प्रभारी मंत्री नितिन नवीन भी शामिल होते थे. लेकिन कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार आज तक केवल लगभग 60 प्रतिशत आवेदन का निष्पादन किया गया है. सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के विकास के उद्देश्य से विशेष विकास शिविर के नाम पर जिले के सभी पंचायतों के महादलित टोले में बड़े पैमाने पर शिविरों का आयोजन किया गया था. इस शिविर के तहत सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत 22 योजनाओं का लाभ समाज के सबसे पिछड़े तबकों तक पहुंचाने की मंशा सरकार की थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. शिविरों में शामिल होने वाले वरिष्ठ अधिकारियों में खुद जिला अधिकारी से लेकर राज्य सरकार के प्रभारी मंत्री नितिन नवीन तक शामिल रहे. सरकार ने इस अभियान को बड़े प्रचार-प्रसार के साथ शुरू किया था. लेकिन जब कल्याण विभाग द्वारा फाइनल रिपोर्ट तैयार की गई और निष्पादन के आंकड़े सामने आये, तो पूरे तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. किस विभाग संबंधित कितना प्राप्त हुआ था आवेदन और कितना का हुआ निष्पादन सार्वजनिक वितरण प्रणाली राशन कार्ड संबंधित कुल प्राप्त आवेदन 4546, निबटारा हुआ 1176 आवेदन, उज्ज्वला योजना संबंधित कुल प्राप्त हुए थे 1483 आवेदन 77 का निबटारा किया गया है, शिक्षा विभाग से संबंधित प्राप्त आवेदन 3418 निबटारा 3350, आंगनबाड़ी संबंधित कुल प्राप्त हुए थे 2815 आवेदन 2752 का किया गया निबटारा, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र संबंधित आवेदन 8268 आवेदन प्राप्त हुआ था जिसमें 3607 आवेदन क्या किया गया निबटारा, आधार कार्ड संबंधित कुल प्राप्त हुए थे 1347 आवेदन 853 का किया गया निबटारा, कुशल युवा प्रोग्राम संबंधित 441 आवेदन प्राप्त हुए था जिसमें 381 का किया निबटारा, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना संबंधित कुल 247 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 175 का किया गया निबटारा, इ-श्रम कार्ड संबंधित कुल 4462 आवेदन हुआ था प्राप्त जिसमें 4168 आवेदन का किया गया निबटारा, प्रधानमंत्री आवास योजना संबंधित कुल 4088 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 1244 आवेदन का किया गया निबटारा, वास भूमि बंदोबस्ती संबंधित 2557 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 124 का किया गया निबटारा, पेंशन संबंधित 1233 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 403 आवेदन का किया गया निबटारा, बुनियादी केंद्र संबंधित 894 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 177 आवेदन क्या किया गया निबटारा, हर घर नल योजना संबंधित 1165 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 463 आवेदन क्या किया गया निबटारा, मुख्यमंत्री ग्रामीण पक्की गली नाली योजना संबंधित 523 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 20 आवेदन क्या किया गया निबटारा, मनरेगा जॉब कार्ड संबंधित 7793 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 6711 आवेदन किया गया है निबटारा, प्रधानमंत्री जनधन योजना सुरक्षा बीमा योजना संबंधित 650 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 649 आवेदन क्या किया गया निबटारा, बिजली कनेक्शन संबंधित 284 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 82 आवेदन क्या किया गया निबटारा, जीविका समूह संबंधित 1252 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 1196 का किया गया निबटारा, ग्रामीण कार्य विभाग संबंधित 54 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें तीन क्या किया गया निबटारा, स्वच्छ भारत मिशन लोहिया स्वच्छता अभियान संबंधित 1382 आवेदन हुए थे प्राप्त जिसमें 336 क्या किया गया निबटारा. पुराने कामों की नयी पैकिंग : कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक केवल लगभग 60 प्रतिशत आवेदनों का निष्पादन हुआ है. रिपोर्ट की पड़ताल करने पर यह भी सामने आया है कि इसमें भी अधिकांश कार्य वही हैं, जो शिविर के आयोजन से पहले ही कर लिए गये थे. यानी जो योजनाएं पहले से लाभार्थियों को दी जा चुकी थीं, उन्हें ही शिविर के निष्पादन में गिनाकर आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जा रहे हैं. एक ओर जहां जिले को बिहार भर में निष्पादन के मामले में छठे स्थान पर होने का गौरव प्राप्त था, वहीं अब यह छवि झूठे आंकड़ों और लापरवाही से धूमिल होती दिख रही है। वास्तविकता यह है कि शिविर के माध्यम से जिन महादलित परिवारों तक सरकार को नई योजनाओं का लाभ पहुंचाना था, उनमें से बड़ी संख्या आज भी वंचित है. शिविरों में दिखावा, जमीन पर सन्नाटा : कई महादलित टोलों में आयोजित शिविरों की स्थिति केवल खानापूर्ति जैसी रही. कई शिविर में तो 22 विभाग कर्मचारी ही नहीं शामिल हुए थे. न कहीं समुचित सूचना दी गयी, न ही लाभार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित की गयी. प्रशासनिक टीमों ने पंचायत भवनों और विद्यालय परिसरों में बैठकर महज औपचारिकता निभायी. वरूना के निवासी लालजी राम ने प्रभात खबर कि टीम से बातचीत के क्रम में बताया कि हम लोग जान भी नहीं पाए कि कब शिविर लगा और कब चला गया. कोई अधिकारी न हमारे पास आया, न हमसे पूछा गया कि हमें क्या जरूरत है. ऐसे ही कई और गांवों से भी यही स्वर सुनने को मिले. नये आवेदन करने वाले और पहले से वंचित परिवार अब भी उसी कतार में खड़े हैं, जहां वे पहले थे. कई आवेदकों की फाइलें लंबित हैं, तो कुछ के आवेदन बिना किसी कारण अस्वीकृत कर दिये गये. एक घटना है सदर अंचल के जरिगावां गांव के 110 महादलित भूमिहीन परिवारों को 41 साल बाद नहीं मिला दखल कब्जा. राजनीतिक इवेंट बनकर रह गया शिविर : शिविरों में जिला स्तर के वरीय अधिकारी और मंत्रीगण की उपस्थिति ने एक राजनीतिक तमाशे का माहौल बना दिया. जहां इन शिविरों में जनता को योजनाओं की जानकारी दी जानी थी, वहां अधिकतर समय भाषण और औपचारिकताओं में ही बीत गया. जिला प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया कि शिविरों में व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया, लेकिन सच यह है कि अधिकांश ग्रामीणों को न तो सही सूचना मिली, न ही फॉर्म भरने या दस्तावेज़ तैयार कराने में कोई मदद. सरकार आपके द्वार योजना का उद्देश्य था कि सरकार खुद चलकर उन वर्गों तक जाए जो सदियों से विकास से वंचित रहे हैं. लेकिन जब ऐसे शिविर केवल कागजी आंकड़ों तक सीमित रह जाएं और जमीनी कार्य नगण्य हो, तो यह न केवल सरकारी धन का अपव्यय है, बल्कि उन वंचित वर्गों के साथ विश्वासघात भी है. इस संबंध में जिला कल्याण पदाधिकारी अरविंद कुमार से पूछा गया कि शिविर में कितना आवेदन प्राप्त हुआ और कितना का निष्पादन किया गया है तो उन्होंने टाल मटेल जवाब देते हुआ कहा कि इसकी जानकारी एडीएम देंगे या जनसंपर्क विभाग देगा. इससे यह साफ-साबित हो रहा हो जिस विभाग के द्वारा शिविर के आयोजन किया गया था. उसके पास डाटा उपलब्ध नहीं है.

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