गुरु पर्व पर आश्रमों में आज शिष्यों का लगेगा जमघट

गुरु पूर्णिमा गुरुवार को मनाया जायेगा. इस अवसर पर यहां के गुरु आश्रमों में शिष्यों का जमघट लगेगा.

By AMLESH PRASAD | July 9, 2025 9:54 PM
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बक्सर. गुरु पूर्णिमा गुरुवार को मनाया जायेगा. इस अवसर पर यहां के गुरु आश्रमों में शिष्यों का जमघट लगेगा. गुुरु दरबार में बुधवार से ही शिष्यों के आने का सिलसिला जारी हो गया था. मठ-मंदिरों में गुरु पर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. प्रत्येक साल यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी तिथि को चारों वेदों के ज्ञाता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, सो उन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में गुरु पर्व मनाया जाता है. यह तिथि शिष्य का अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महत्वपूर्ण अवसर होता है. बुधवार को शहर स्थित विभिन्न मतों व संप्रदायों के मठ-मंदिरों व आश्रमों में गुरु पर्व की तैयारियां पूरी कर ली गयी थीं. साफ-सफाई से लेकर शिष्यों के भोजन व ठहरने आदि के इंतजाम को लेकर आश्रम प्रबंधन देर रात तक व्यस्त रहा. मान्यता के अनुसार भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा प्राप्त है. क्योंकि गुरु ही शिष्य को धर्म का ज्ञान देकर उन्हें जीवन के अंधकार से निकालकर प्रकाश का मार्ग प्रशस्त करते हैं. गुरु पूर्णिमा को लेकर नगर के स्टेशन रोड स्थित बसांव मठिया, नई बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम, चरित्रवन स्थित आदिनाथ अखाड़ा, श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, श्री निवास मंदिर, संत श्री त्रिदंडीदेव समाधि आश्रम के अलावा रामरेखाघाट स्थित बड़ी मठिया, छोटी मठिया, अहिरौली स्थित श्री वरदराज मठिया समेत अन्य मठ व आश्रमों में शिष्यों के आने का क्रम जारी हो गया था. गुरु पर्व के मुहूर्त के संबंध में आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि 09 जुलाई यानि बुधवार की रात 10.05 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है, जो अगले दिन 10 जुलाई गुरुवार की आधी रात तक रहेगी. ऐसे में गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनेगा. उन्होंने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन को व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है. धर्म ग्रंथों में गुरु पूर्णिमा के दिन अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों के साथ ही गुरु का आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि गुरु ही गोविंद का ज्ञान कराते हैं. गुरु ही अंधकार से उजाले की तरफ ले जाते हैं. गुरु सिर्फ शिक्षक नहीं होते, जीवन पथ के मार्गदर्शक भी होते हैं.

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