नावानगर. अंतिम सोमवारी पर नावानगर थानेश्वर मंदिर में थानाध्यक्ष यजमान बनकर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए पूजा अर्चना की. सावन सोमवारी की अंतिम पूजा जो थानेश्वर मंदिर में संपन्न होता है थानाध्यक्ष एवं उनकी पत्नी यजमान बनकर पूजा अर्चना करते हैं. वही पुलिस के छवि की भी अलग मिसाल पेश करता है. यूं तो पुलिस का काम कानून व्यवस्था बहाल रखना है परंतु जिले में पुलिस की भूमिका यही तक समिति नहीं है. खासतौर पर सावन मास के दौरान पुलिस परंपरागत रूप से चले आ रहे अपने धार्मिक दायित्वों का भी निर्वहन करती है. सावन के अंतिम सोमवारी को नावानगर के थानेश्वर मंदिर में विशेष पूजन का आयोजन होता है. जिसमें थानाध्यक्ष सपत्नीक यजमान बनते हैं. साथ ही पूजा की पुरी व्यवस्था व प्रसाद वितरण तक का भार पुलिस वाले ही उठाते हैं.यह परंपरा आजादी के पहले से ही चली आ रही है. थानेश्वर मंदिर के पंडित रंगवासी पान्डेय का कहना है कि अंतिम सोमवारी पर पुलिस द्वारा मुख्य यजमान की भूमिका निभाने की यह परंपरा वर्ष 1920 से ही चली आ रही है. पुलिस कर्मियों के बीच ऐसी मान्यता है की इस पूजा से सालों भर बाबा भोलेनाथ की कृपा पुलिसकर्मियों पर बनी रहती है सोमवारी पूजा को रंगवासी पंडित ने धुम-धाम से वैदिक मंत्रों के बीच सम्पन्न कराया. सावन के अंतिम सोमवारी का पूजन थाना के थानाध्यक्ष नीतीश कुमार सपत्नीक सोनम कुमारी के साथ यजमान बनकर धूमधाम से थानेश्वर मंदिर में स्थापित मां काली भगवती,भगवान शिव, हनुमान का पूजा अर्चना किया. जहां मुख्य रूप से मुन्ना यादव, पंकज सिंह,छोटन चौबे सहित नावानगर भटौली रूपसागर बुढैला जीतवाडीह अतिमि सहित आस पास के ग्रामीण उपस्थित रहे.
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