Hajipur News : तीन साल पहले मर चुके नित्यानंद बैंक पहुंचे वृद्धा पेंशन लेने

लालगंज प्रखंड में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां एक 71 वर्षीय वृद्ध को कागज पर तीन वर्ष पूर्व मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन जब वह वृद्धा पेंशन की राशि बढ़ने की सूचना मिलने पर बैंक पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों और बैंककर्मियों के लिए यह बेहद चौंकाने वाला क्षण था.

By SHAH ABID HUSSAIN | July 22, 2025 7:46 PM
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लालगंज नगर. लालगंज प्रखंड में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां एक 71 वर्षीय वृद्ध को कागज पर तीन वर्ष पूर्व मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन जब वह वृद्धा पेंशन की राशि बढ़ने की सूचना मिलने पर बैंक पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों और बैंककर्मियों के लिए यह बेहद चौंकाने वाला क्षण था. यह मामला लालगंज प्रखंड क्षेत्र के मानपुर मोटालूक घटारो डीह पंचायत अंतर्गत मथुरापुर कुशदे गांव के निवासी नित्यानंद सिंह का है, जो दोनों आंखों से अंधे हैं और दिव्यांग भी हैं. नित्यानंद सिंह को यह तब पता चला जब वह वृद्धावस्था पेंशन की बढ़ी हुई राशि की जानकारी मिलने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा पहुंचे. जैसे ही उन्होंने अंगूठा लगाया, तो केवाइसी अपडेट करने का विकल्प आया. इसके बाद जब स्टेटस चेक किया गया, तो बैंककर्मी ने बताया कि वह तो कागजों पर तीन साल पहले ही मृत घोषित किये जा चुके हैं. इस जानकारी से वह हतप्रभ रह गये. नित्यानंद सिंह ने बताया कि उन्हें पहले विकलांगता और वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी, जो तीन साल पहले अचानक बंद हो गयी. उन्हें लगा कि पेंशन की राशि एकमुश्त मिलेगी, इसलिए उन्होंने इंतजार किया, लेकिन जब सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन की राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये की गयी, तब वह अपने भतीजे संजय सिंह के साथ बैंक पहुंचे. बैंक में यह जानकर कि वह कागजों पर मृत घोषित हो चुके हैं और उनका खाता बंद कर दिया गया है, उनके होश उड़ गये. अब वह बीते 15 दिनों से लालगंज प्रखंड कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, ताकि खुद को जीवित साबित कर सकें. उन्होंने अधिकारियों और कर्मियों से मदद की गुहार लगायी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. नित्यानंद सिंह ने बताया कि वह पूरी तरह दृष्टिहीन हैं और चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं. इसके बावजूद उन्हें अपनी जिंदा होने की पहचान साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों की दौड़ लगानी पड़ रही है. गौरतलब है कि वर्ष 2021 में बॉलीवुड फिल्म ‘कागज’ आयी थी, जिसमें इसी प्रकार की कहानी दिखायी गयी थी. उसमें अभिनेता पंकज त्रिपाठी को उनके ही परिजनों द्वारा जमीन हड़पने की नीयत से कागज पर मृत घोषित कर दिया जाता है और वह खुद को जीवित साबित करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते हैं. अब बिल्कुल वैसी ही कहानी वैशाली जिले के एक वृद्ध के जीवन में हकीकत बन गयी है. यह घटना न सिर्फ व्यवस्था पर सवाल उठाती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि पेंशन पाने के लिए एक अंधे और दिव्यांग वृद्ध को भी कितना संघर्ष करना पड़ रहा है. इस संबंध में बीडीओ किरण कुमारी ने बताया कि अभी हाल ही में मैं यहां आयी हूं, इसकी जानकारी नहीं है. जानकारी मिलेगी तो जांच की जायेगी और कार्रवाई कर वृद्ध की पेंशन में सुधार कर उन्हें अविलंब पेंशन भुगतान कराया जायेगा. साथ ही इसकी भी जांच करायी जायेगी कि आखिर गलती किस स्तर पर हुई है. जांच में दोषी पाये जाने पर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.

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