हाजीपुर. शहर के राजनारायण महाविद्यालय के आइक्यूएसी, दर्शनशास्त्र व अंग्रेजी विभाग द्वारा एनएसएस विंग के सहयोग से जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जयंती के अवसर पर गुरुवार को महावीर का दर्शन और समकालीन विश्वः नैतिकता, पर्यावरण और शांति की खोज, विषयक एक वेबिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह ने भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह और अस्तेय के सिद्धांतों की आधुनिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रवि कुमार सिन्हा ने कहा कि यह वेबिनार भगवान महावीर के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में समझने का एक सार्थक प्रयास है. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में न केवल शारीरिक हिंसा, बल्कि विचारों और भावों की हिंसा भी चिंताजनक है. जब किसी व्यक्ति के स्वभाव में करुणा का भाव होता है, तभी वह वास्तव में अहिंसक होता है. एलएस कॉलेज, मुजफ्फरपुर के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार ने अनेकांतवाद की अवधारणा को विस्तार से समझाया. उन्होंने बताया कि भगवान महावीर के समय 363 से अधिक मत प्रचलित थे और उन्होंने अनेकांतवाद के माध्यम से बताया कि हर मत एक व्यापक सत्य के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि क्रोध, माया और लोभ के प्रभाव में उत्पन्न अन्याय की प्रवृत्तियां भी हिंसा का ही रूप हैं. डॉ रिषभ चंद्र जैन ने ‘नमो अरिहंताणं’ मंत्र के उच्चारण के साथ अपना वक्तव्य प्रारंभ किया. उन्होंने कहा कि जैन दर्शन अत्यंत व्यावहारिक है और इसकी शिक्षाएं आज के वैश्विक संकट के समाधान के लिए आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि आज दुनिया हिंसा और असहिष्णुता की गिरफ्त में है, और “शांति की पहल” के नाम पर देश हथियार बेचने में लगे हैं. भारत अनादिकाल से विश्व बंधुत्व, शांति और अहिंसा का संदेश देता रहा है. उन्होंने कहा कि हम सभी को अपनी दिनचर्या की समीक्षा कर यह तय करना चाहिए कि क्या हम अपने कर्तव्यों को पवित्र भाव से निभा रहे हैं.
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