hajipur news. सीएचसी में 13 की जगह पांच डॉक्टर व 16 के बदले चार ही नर्स तैनात, जैसे-तैसे हो रहा इलाज

पीएचसी को सीएचसी में अपग्रेड तो किया गया, पर अब तक नहीं मिलीं सुविधाएं, वर्ष 2013 में करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से बना भवन

By RATNESH KUMAR SHARMA | June 20, 2025 6:50 PM
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राजापाकर.

राजापाकर पीएचसी को लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया था. करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का 30 बेड का भवन भी बनकर तैयार हो गया, लेकिन अन्य सुविधाएं अब तक नहीं मिली हैं. 30 बेड के अस्पताल के लिए जितने डॉक्टर, कर्मी और अन्य सुविधाएं होनी चाहिए, वह 12 साल बाद भी अस्पताल को नहीं मिल सकी है. डॉक्टर और कर्मियों की कमी के कारण क्षेत्र के लोगों को इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल या निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ओपीडी में इलाज कराने पहुंच रहे लोगों का इलाज कर दवा दी जाती है. लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी के कारण केवल खानापूर्ति ही होती है. यहां 286 प्रकार की दवा, 14 प्रकार की बीमारियों की जांच, एंटी रेबीज वैक्सीन, एक्स-रे और एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है. यहां प्रतिदिन करीब 125-150 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं.

सर्जन व स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं

वर्ष 2013 में करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन बनकर तैयार हुआ. लेकिन, स्वास्थ्य सुविधाएं और कर्मियों की कमी को अब तक दूर नहीं किया जा सका. अस्पताल में एक भी सर्जन और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. बताया गया कि अस्पताल में 13 डॉक्टर का पद स्वीकृत है, जिसमें पांच डॉक्टर तैनात है. सर्जन नहीं रहने के कारण बंध्याकरण और ऑपरेशन के लिए जिले से डॉक्टर को बुलाया जाता है. ए ग्रेड नर्स का 16 पद स्वीकृत है, जिसमें चार ही पदस्थापित है. एक्स-रे टेक्नीशियन के तीन पद स्वीकृत हैं, जिसमें कोई कार्यरत नहीं है. नेत्र सहायक का एक पद है, जिसमें एक पैरामेडिकल स्टाफ कार्यरत है.

एक भी लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, ओटी असिस्टेंट व ड्रेसर नहीं

बताया गया कि लैब टेक्नीशियन के चार, फार्मासिस्ट के तीन, ओटी असिस्टेंट के छह व ड्रेसर सह कंपाउंडर के छह पद स्वीकृत हैं, जिसमें से एक भी कार्यरत नहीं है. बताया गया कि एक भी महिला चिकित्सक नहीं है. जिससे प्रखंड क्षेत्र के लगभग आधी आबादी महिलाओं के इलाज में काफी परेशानी होती है. पूर्व में डॉक्टर ज्ञानदीप स्त्री रोग विशेषज्ञ कार्यरत थी. त्यागपत्र देने से वह पद भी खाली है. सर्जन फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ आदि का पद खाली है. जिससे लोगों को हाजीपुर, पटना जाकर विशेषज्ञ डॉक्टर से दिखाना पड़ता है. जहां आर्थिक और शारीरिक परेशानी होती है. बताया गया कि डॉक्टर की कमी के संबंध में सीएस को पत्राचार किया गया है.

जर्जर सड़क से अस्पताल पहुंचने में होती है परेशानी

सबसे ज्यादा परेशानी मुख्य सड़क से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने की है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मुख्य सड़क तक लगभग 200 फीट में निजी व्यक्ति की जमीन में सड़क बना हुआ है. जो सड़क बनाने के लिए जमीन देने को तैयार नहीं है. इस समस्या के समाधान के लिए कई बार पंचायत स्तर से लेकर प्रखंड स्तर पर बैठक हुई. विधायक भी अपने स्तर से प्रयास कर चुके है, लेकिन भू-स्वामी सड़क के लिए जमीन देने को तैयार नहीं है. जिसके कारण बरसात के दिनों में स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने में काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है. स्वास्थ्य केंद्र के बगल में एएनएम, जीएनएम पैरामेडिकल कॉलेज भी अवस्थित है. छात्र-छात्राओं को रास्ते के अभाव में आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

– आयुर्वेद औषधालय में लटका रहता है ताला

पुराने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर में राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय अवस्थित है. जहां आयुर्वेद से संबंधित डॉक्टर की तैनाती की गयी है. साथ ही विभिन्न कंपनियों की आयुर्वेदिक दवा भी सरकार की ओर से उपलब्ध कराया गया है. लेकिन औषधालय में तैनात डॉक्टर नियमित रूप से नहीं पहुंचते है. जिसके कारण हमेशा गेट में ताल लटका रहता है. इस औषधालय के होने से आम जनता को इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है. वर्ष 2019 में शुरू हुए इस केंद्र में अब तक नियमित रूप से इलाज शुरु नहीं हो सकी है. औषधालय में तैनात डॉ त्रिलोकी नाथ पंडित ने बताया कि वह प्रत्येक सप्ताह गुरुवार से शनिवार तक सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक औषधालय में उपस्थित रहते हैं. लेकिन 19 जून को 10.30 बजे अस्पताल पहुंचने पर गेट पर ताला लटका मिला. स्थानीय लोगों ने बताया कि डॉक्टर कभी-कभार आते हैं. थोड़ा देर रुक कर हाजिरी लगाकर लौट जाते हैं.

– क्या कहते हैं जिम्मेवार

डॉक्टर और कर्मियों की समस्या को लेकर सीएस को कई बार पत्राचार किया गया है. हालांकि अब तक किसी कारणवश कर्मियों और डॉक्टर की तैनाती नहीं की गयी है. वहीं सड़क की समस्या के समाधान के लिए बीडीओ, सीओ स्तर से कई बार भू स्वामियों के साथ बैठक की गयी, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका है. जिससे स्वास्थ्य केंद्र आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है.

डाॅ एस के रावत, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर B

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