गोरौल. किसान गाय-भैंस के साथ भेड़ पालन को अपना कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. 40 से 50 भेड़ से इसकी शुरुआत की जा सकती है. किसान कम खर्चे में भेड़ पाल कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इस कार्य के लिए सरकार भी सहायता दे रही है. भेंड़ पालने में कोई बड़ा रिस्क भी नहीं उठाना पड़ता है. यह अन्य पशुओं के पालने से काफी आसान और सुगम है. हालांकि सरकारी सुविधा मिलने के बाद भी लोग भेड़ पालने में कम ही रुचि ले रहे हैं, लेकिन जो किसान भेड़ पालन कर रहे वह अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. मालूम हो कि पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के सोरहत्था गांव के किसान मनोज राय, सुरेश कुमार भेड़ का पालन कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. किसान गाय भैंस तो पाल रहे हैं, लेकिन भेड़ का पालन इस क्षेत्र में न के बराबर ही किया जाता. भेड़ पालने से मांस, दूध के अलावे उसका बाल काफी उपयोगी माना जाता है. भेड़ पालने का कारोबार ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक संरचना से जुड़ा है. इससे हमें मांस, दूध, ऊन, जैविक खाद तथा अन्य उपयोगी सामग्री मिलती है. इनके पालन-पोषण से भेड़ पालकों को अनेक फायदें हैं. यह एक ऐसा कारोबार है जिसमे खर्च न के बराबर है. भेड़ों को केवल विभिन्न जगहों पर घुमाकर और घास फूस खिलाकर पालन किया जा सकता है. भेड़ पलकों को खाने पीने की भी व्यवस्था नही करनी पड़ती है. भेड़ पालक अन्य किसान के खेतों में भी भेड़ रखकर आय प्राप्त कर सकते है. खेतों में भेड़ रखने से जैविक खाद की प्राप्ति होती है.
संबंधित खबर
और खबरें