हाजीपुर. नगर के एसडीओ रोड स्थित संगीत संस्थान में आयोजित संगीत की क्रियात्मक (प्रायोगिक) परीक्षा में छात्र छात्राओं ने अपनी कला प्रतिभा से मुग्ध कर दिया. प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद की ओर से आयोजित परीक्षा संगीत स्वरांजली संस्थान में छात्र छात्राओं ने राग रागिनियों की सधी संवरी तान, ताल और नृत्य की अनूठी प्रस्तुति से परीक्षकों का दिल जीत लिया. रविवार को संगीत स्वरांजलि संगीत विद्यालय में संगीत की क्रियात्मक परीक्षा आयोजित की गई. केंद्राधीक्षक संगीत गुरु हरिशंकर वर्मा एवं बिहार के चर्चित संगीतज्ञ डा. ओमप्रकाश नारायण के सानिध्य में क्रियात्मक परीक्षा में जूनियर डिप्लोमा से संगीत प्रभाकर तक के करीब 250 से अधिक विभिन्न विधाओं के छात्र छात्रा शामिल हुए. प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद के गायन परीक्षक कदमकुआं पटना से पधारे सुरेश कुमार एवं तबला व नृत्य परीक्षक शिवनंदन प्रसाद ने छात्र छात्राओं से संगीत की परीक्षा ली. परीक्षक, बच्चों की सधी संवरी आवाज में राग रागिनियों की प्रस्तुति से मुग्ध नजर आये. इन्होंने परीक्षा के दौरान बच्चों को विषय व वर्ग के अनुसार ताल, लय व सुरों के अलावे संगीत की अन्य विधाओं की बारीकियों से भी परिचय कराया. इन्होंने संगीत गुरु हरिशंकर वर्मा के शिक्षण शैली और उनके शिष्यों के संगीत प्रतिभा की प्रशंसा की. छात्रों के स्वर और ताल के लयकारी की प्रस्तुति ने मुग्ध कर दिया. छात्र छात्राओं के साथ तबला पर गुरु बबन उस्ताद, युवा तबला वादक हर्षित वर्मा ने संगत किया. जूनियर डिप्लोमा से प्रभाकर तक के छात्र छात्राओं ने राग यमन, वागेश्वरी, भूपाली, भैरवी, भैरव, पुड़िया, मालकौंस, दरबारी, छायानट, तोड़ी, ठुमरी, गजल सहित अन्य रागों की प्रस्तुति दी. वही तालों में तीन ताल, एकताल, धमार, पंचम सवारी, दादरा आदि की प्रस्तुति कर परीक्षक को संतुष्ट करने की कोशिश की. परीक्षक सुरेश कुमार ने कहा कि संगीत गुरुमुख विधा है. इसे गुरु के सम्मुख बैठ कर आसानी से सिख सकते हैं. इन्होंने केंद्र और बिहार सरकार की भी सराहना की. कहा कि संगीत में कैरियर की अपार संभावनाएं हैं. संगीतज्ञ डा. ओमप्रकाश ने कहा कि 30 वर्षों से संस्था बच्चों की संगीत साधना में मदद कर रहा है. यहां से सीखे अनेक बच्चों ने अपने कैरियर में सफलता प्राप्त की है. इन्होंने कहा कि संगीत से संस्कार बनता है. मेडिटेशन के साथ एकाग्रता बढ़ती है. भारतीय संस्कृति को जानने समझने का मौका मिलता है. एमए ,पीएचडी तक कि डिग्री प्राप्त की जा सकती है. भारतीय संस्कृति का आधार है संगीत : हरिशंकर वर्मा संगीत गुरु हरिशंकर वर्मा ने बताया कि भारतीय संस्कृति का आधार संगीत है. संगीत की शिक्षा का साथ जन्म से मृत्यु तक रहता है. संगीत पाठ्यक्रम के लिए सुसज्जित प्रायोगिक और सैद्धांतिक पाठ्यक्रम की तैयारी की संपूर्ण व्यवस्था है. इसमें कैरियर की असीम संभावनाएं हैं. शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, नृत्य व वादन के साथ बेहतर शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं. नई शिक्षा नीति में इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. भारत सरकार व यूजीसी ने भी मान्यता दे रखा है. कैरियर के लिए संगीत से कालेजों में प्राध्यापक, स्कूलों में शिक्षक, अच्छे स्टेज परफारमेंंस कलाकार, प्रशासनिक अधिकारी, टीवी, दूरदर्शन आदि में कैरियर बनाया जा सकता है. कत्थक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दूसरी ओर इसी केंद्र पर स्वर संगम कला महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने परीक्षा के दौरान नृत्य, गायन व वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी. कत्थक व भाव नृत्य की शानदार प्रस्तुति से परीक्षक भी खुश दिखे. वरिष्ठ तबला वादक कृष्ण कुमार सिन्हा और नृत्य गुरु आरती कुमारी के दिशा निर्देश में छात्र छात्राएं परीक्षा में शामिल हुए. दोनों संगीत विद्यालय से परीक्षा में मुख्य रूप से खुशी कुमारी, आदित्य राज, अंकुश, तान्या, सानिया, प्रज्ञा रूसी, प्रियांशी प्रिया, सिद्धि, प्रियांशु सिंह, रितिक शर्मा, आदित्य शर्मा, सानिया श्रीवास्त, हंसिका वर्मा, हर्षित वर्मा, राहुल कुमार, दीपक कुमार, धर्मवीर भारती,अरुणा आदि ने प्रभावित किया. मौके पर वरिष्ठ तबला वादक उस्ताद बबन गुरु, शिक्षक व तबला वादक अमित रंजन, गुरु मिलन कुमार मिलन, कला मर्मज्ञ लालबाबू राय, डा. विजय कुमार सहित बड़ी संख्या में अभिवावक उपस्थित थे.
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