hajipur news. मुहर्रम पर आज अखाड़ों के साथ निकलेंगे ताजिया जुलूस
नगर के जढुआ स्थित ऐतिहासिक कर्बला परिसर में मुहर्रम के अवसर पर हर साल लगने वाले दो दिवसीय मेले का आयोजन छह और सात जुलाई को होगा
By Shashi Kant Kumar | July 5, 2025 11:23 PM
हाजीपुर. गम और मातम का महान पर्व मुहर्रम आज रविवार को मनाया जायेगा. हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाये जाने वाले इस पर्व को लेकर विभिन्न अखाड़ों में ताजिये का निर्माण किया गया है. नगर के जढुआ स्थित ऐतिहासिक कर्बला परिसर में मुहर्रम के अवसर पर हर साल लगने वाले दो दिवसीय मेले का आयोजन छह और सात जुलाई को होगा. इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. सौहार्द के माहौल में शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम का त्योहार संपन्न हो, इसके लिए प्रशासन की ओर से आवश्यक इंतजाम किये गये हैं. मुहर्रम मेले में आये श्रद्धालुओं, दर्शकों की सुरक्षा और विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए जगह-जगह दंडाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. मुहर्रम के मौके पर नगर के जढुआ स्थित कर्बला में शहरी व देहाती क्षेत्र के लगभग 55 अखाड़ों के लोग ताजिया और सीपर के साथ अपने-अपने अखाड़े से जुलूस की शक्ल में पहुंचते हैं और ताजिये का पहलाम करते हैं. इस अवसर पर परंपरागत अस्त्रों के साथ कौशल-कलाबाजियों का प्रदर्शन देखने के लिए कर्बला मैदान में दूर-दूर से दर्शक आते हैं. मुहर्रम पर ताजिया जुलूस से लेकर खेल-तमाशे तक में हिंदू और मुस्लिम, दोनों संप्रदाय के लोगों की भागीदारी होती है, जो साझी सांस्कृतिक विरासत की मिसाल है. इस अवसर पर लगने वाले मेले में जिले भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु-दर्शक पहुंचते हैं. शहीद-ए-आजम कमेटी, वैशाली के सचिव नसीम अहमद ने बताया कि सभी अखाड़ों को पहलाम के लिए निर्धारित समय का पालन करने को कहा गया है. अखाड़ों के खलीफा इसे सुनिश्चित करायेंगे. कर्बला में रविवार से लेकर सोमवार की सुबह तक पहलाम किये जायेंगे.
हजरत हुसैन की शहादत को याद करने का दिन
इस्लाम के जानकार बताते हैं कि इस्लामिक कैलेंडर के पहले माह मुहर्रम की 10 वीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई. उनकी शहादत को हर साल इस दिन याद किया जाता है और गम के तौर पर यह पर्व मनाया जाता है. इमाम हुसैन ने इस्लाम की शरियत को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी. यौम-ए-आशूरा यानी मुहर्रम की 10 वीं तारीख को यजीद और उसकी फौज ने मैदान-ए-कर्बला में इमाम हुसैन समेत 72 लोगों को शहीद कर दिया. बताया जाता है कि 60 हिजरी में एक ऐसा वक्त आया, जब इस्लाम में हलाल और हराम का भेद मिट गया था. उस जमाने में लोग पैगंबर मोहम्मद की बातों पर अमल नहीं कर रहे थे. उस दौर में यजीद की हुकूमत थी और उसने पूरे अरब में अराजकता फैला दी थी. इसके विरोध में इमाम हुसैन खड़े हुए. वे किसी कीमत पर यजीद की बात मानने को तैयार नहीं थे. 28 रजब सन 60 हिजरी को यजीद के जुल्म-ओ-सितम से परेशान होकर इमाम हुसैन मदीना से प्रस्थान कर मक्का पहुंच गये. फिर भी यजीद ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. तब मक्का, जहां खाना काबा है वहां खून-खराबा होना मुनासिब नहीं समझ कर इमाम हुसैन ने ठहरना ठीक नहीं समझा. आखिरकार उन्होंने अन्य 71 लोगों के साथ दो मुहर्रम सन 61 हिजरी को वहां से फरात नदी के किनारे अपना खेमा गाड़ दिया. उसके बाद भी यजीद की फौज ने उनपर जुल्म ढाना बंद नहीं किया. चार मुहर्रम को यजीद के आदेश पर उसकी फौज ने वहां से उनका खेमा उखड़वा दिया. सात मुहर्रम को इमाम हुसैन व उनके 71 लोगों को दरिया फरात से पानी लेने पर पाबंदी लगा दी. फिर यजीद की फौज ने इमाम हुसैन पर हमला कर दिया और उनके सभी 71 लोगों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, को शहीद कर दिया. आखिर में मुहर्रम की 10 वीं तारीख को इमाम हुसैन भी शहीद हो गये.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
यहां हाजीपुर न्यूज़ (Hajipur News) , हाजीपुर हिंदी समाचार (Hajipur News in Hindi), ताज़ा हाजीपुर समाचार (Latest Hajipur Samachar), हाजीपुर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Hajipur Politics News), हाजीपुर एजुकेशन न्यूज़ (Hajipur Education News), हाजीपुर मौसम न्यूज़ (Hajipur Weather News) और हाजीपुर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .