बिहार में एक ऐसा शिक्षक जिसे 30 साल तक नहीं मिली सैलरी, अब रिटायर होने के बाद इंसाफ की लगा रहा गुहार

Bihar Teacher: तीन दशक तक सेवा दी, लेकिन वेतन की एक पाई नहीं मिली. नालंदा के संस्कृत शिक्षक शिवाकांत पांडे 1995 से बिना वेतन पढ़ाते रहे और अब रिटायर हो चुके हैं. बीमारी से जूझ रहे शिक्षक को न्याय के लिए पत्नी ने लगाई गुहार.

By Anshuman Parashar | April 16, 2025 12:58 PM
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Bihar Teacher: बिहार में शिक्षा विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है. नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड स्थित चंद्रशेखर संस्कृत प्राथमिक सह मध्य विद्यालय लोहड़ी में पदस्थापित शिक्षक शिवाकांत पांडेय को 1995 से लेकर सेवानिवृत्ति तक एक भी दिन वेतन नहीं मिला. 31 मार्च 2025 को वह प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन अब तक उनका वेतन लंबित है.

पत्नी ने लोक शिकायत निवारण केंद्र में लगाई गुहार

शिवाकांत पांडेय की पत्नी अंजू देवी ने जिले के लोक शिकायत निवारण केंद्र में न्याय की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि 2018 में ही पटना हाईकोर्ट ने संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों के पक्ष में आदेश पारित कर दिया था, इसके बावजूद विभाग आंखें मूंदे बैठा है. इस सालों की जद्दोजहद और मानसिक तनाव के चलते उनके पति कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

इलाज के लिए भी नहीं है पैसे, कहा- “अब तो इंसाफ चाहिए”

अंजू देवी ने बताया कि उन्होंने और उनके पति ने विभागीय दफ्तरों के न जाने कितने चक्कर लगाए, लेकिन हर जगह से केवल आश्वासन ही मिला. अब न तो इलाज के लिए पैसे हैं और न ही कोई उम्मीद बाकी है. उनका कहना है कि कम से कम सेवानिवृत्ति के बाद तो उनका हक उन्हें मिलना ही चाहिए.

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विभाग ने वेतन रोकने का दिया यह कारण

शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना आनंद शंकर का कहना है कि संस्कृत बोर्ड के निर्देश पर वेतन रोका गया था. विद्यालय की तीन बार जांच कराई गई थी और हर बार विद्यालय बंद पाया गया. मामला वर्तमान में DEO कार्यालय में विचाराधीन है और आदेश के बाद ही वेतन रिलीज किया जाएगा.

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