बिहार में साइबर अपराधियों के पास मिलीं मनरेगा की फाइलें, सरकारी सिस्टम में सेंध से मचा हड़कंप

Bihar News: हाजीपुर में साइबर अपराधियों के पास से मनरेगा की गोपनीय फाइलें बरामद होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है. छापेमारी में भारी मात्रा में एटीएम, सिम कार्ड और दस्तावेज मिलने के बाद अधिकारियों से पूछताछ शुरू हो गई है.

By Abhinandan Pandey | April 16, 2025 9:32 AM
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Bihar News: बिहार के हाजीपुर में साइबर अपराध की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है. वैशाली जिले के काजीपुर थाना क्षेत्र के पहेतिया गांव में साइबर थाना की टीम ने छापेमारी कर दो कुख्यात साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. इस कार्रवाई के दौरान अपराधियों के पास से मनरेगा योजना से जुड़ी 35 अहम फाइलें भी बरामद हुई हैं, जिससे प्रशासन में खलबली मच गई है.

भारी मात्रा में डिजिटल डेटा और दस्तावेज बरामद

गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने 309 एटीएम कार्ड, 234 सिम कार्ड, 53 लोगों के आधार कार्ड की फोटोकॉपी, चार मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक माइक्रो एटीएम डिवाइस, एक फिंगरप्रिंट स्कैनर और कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं. एक आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया, जिसकी तलाश जारी है.

मनरेगा फाइलों की मौजूदगी से प्रशासन में बेचैनी

मनरेगा से संबंधित दस्तावेजों की बरामदगी के बाद जिला प्रशासन में हलचल तेज हो गई है. सोमवार को साइबर थाना द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में मनरेगा के संबंधित पदाधिकारियों से पूछताछ की गई. जांच अधिकारी और साइबर डीएसपी चांदनी सुमन ने बताया कि मामले की गहराई से छानबीन की जा रही है. अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इतनी संवेदनशील जानकारी साइबर अपराधियों तक कैसे पहुंची.

जांच कमेटी की मांग, अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

जिलाधिकारी को पत्र और ईमेल के माध्यम से मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित करने का अनुरोध किया गया है. बरामद एटीएम कार्डों की जानकारी संबंधित बैंकों से मांगी गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अब तक कितने लोगों के खातों से ठगी की गई है. डीडीसी कुंदन कुमार ने बताया कि फिलहाल जिलाधिकारी से इस मामले में कोई निर्देश नहीं मिला है, लेकिन मनरेगा अधिकारियों को प्रारंभिक जांच का आदेश दे दिया गया है.

अफसरों की भूमिका पर उठे सवाल

बरामद दस्तावेजों में मनरेगा की योजनाओं से जुड़ी जानकारी देख अफसरों की भूमिका भी शक के घेरे में है. यदि जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता पाई गई, तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब पूरे जिले में यह सवाल गूंज रहा है कि सरकारी योजनाओं की जानकारी आखिर अपराधियों तक कैसे पहुंच रही है? यह मामला साइबर अपराधियों के बढ़ते नेटवर्क और सरकारी सिस्टम में संभावित सेंध को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गया है.

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