बेरमो. सीसीएल बीएंडके एरिया की बोकारो कोलियरी फिलहाल 80 करोड़ रुपये से ज्यादा के घाटे में चल रही है. चालू वित्तीय वर्ष में परियोजना का कोयला उत्पादन लक्ष्य तीन लाख टन तथा ओबी निस्तारण का लक्ष्य 6.5 लाख घन मीटर टन है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में परियोजना अपने उत्पादन लक्ष्य से काफी पीछे रह गयी थी. परियोजना ने कुल 1,90,400 टन कोयला उत्पादन किया था, जबकि लक्ष्य तीन लाख टन था. इसके अलावा 4.34 लाख घन मीटर टन ओबी निस्तारण किया गया था. प्रबंधन की माने तो परियोजना को नफा-नुकसान बराबर की स्थिति में लाने के लिए सालाना छह-सात लाख टन कोयला उत्पादन करना होगा. उत्पादन बढ़ाने के लिए परियोजना की डीडी माइंस से 200 मीटर की परिधि में आने वाले शिफ्टिंग एरिया को हर हाल में पूरा शिफ्ट करना होगा. बताते चले कि गत वर्ष भी परियोजना करीब 45 करोड़ रुपये के घाटे में थी. डीडी माइंस के विस्तार के लिए शिफ्टिंग प्रक्रिया लगभग रुक गयी है. इससे प्रबंधन की चिंता बढ़ गयी है. अधिकारी लगातार चार नंबर शिफ्टिंग एरिया क्षेत्र में जाकर यहां रह रहे दिहाड़ी मजदूरों से बात कर जल्द शिफ्ट होने का आग्रह कर रहे हैं. वर्तमान में माइंस विस्तार के लिए चार नंबर के रिहायशी क्षेत्र में बेरमो दक्षिणी पंचायत के पंचायत सचिवालय के अलावा एक आंगनबाड़ी केंद्र तथा दो सामुदायिक भवनों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सीसीएल द्वारा झारखंड सरकार के पास निर्धारित राशि जमा करते ही इन भवनों को तोड़ दिया जायेगा. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यहां रह रहे दिहाड़ी मजदूरों एवं सीसीएल कर्मियों को शिफ्ट करने की है. सीसीएल कर्मियों को तो प्रबंधन द्वारा आवास मुहैया कराया जा रहा है. नये वित्तीय वर्ष में परियोजना के विस्तार के लिए 132 आवासों को हर हाल में हटाना होगा. इसमें 29 सीसीएल कर्मियों के हैं तथा बाकी में अन्य लोग रह रहे हैं. मालूम हो कि चार नंबर क्षेत्र से लगभग 500 दिहाड़ी मजदूरों को पुराना एक्सकैवेशन के समीप शिफ्टिंग एरिया में पूर्व में बसाया गया है. सरकारी भवनों एवं एवं बाकी बचे लगभग 300 आवासों को शिफ्ट कराया गया तो पांच-छह वर्षों तक माइंस चलना संभव हो पायेगा. इधर, यहां वर्षों से रह रहे दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि प्रबंधन द्वारा सारी सुविधाएं देकर हम लोगों को यहां से हटाया जाये.
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