Bokaro News : बोकारो का नाम नदी पर, बावजूद 80 प्रतिशत भूमि सिंचित नहीं

Bokaro News : सिंचाई के नाम पर सिर्फ एक नहर परियोजना, जो दशकों बाद हुई शुरू, तेनुघाट- बोकारो नहर का खेती में नहीं हो पाता वृहत इस्तेमाल.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | June 10, 2025 11:20 PM
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सीपी सिंह, बोकारो, पंजाब का नाम राज्य से प्रवाहित होने वाले पांच नदियों के कारण पड़ा है. कृषि क्षेत्र में पंजाब की स्थिति बताने की जरूरत नहीं. इसी तरह बोकारो जिला का नाम एक नदी पर ही पड़ा है. जिले का नाम बोकारो नदी के आधार पर रखा गया है. लेकिन, जिला की खेती भगवान भरोसे है. जिला औद्योगिक रूप से समृद्ध जरूर है, लेकिन आधी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है. लेकिन, सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण खेती में ना तो उपज है और ना ही फायदा. इस कारण लोग अन्य रोजगार की ओर पलायन कर रहे हैं. जिला में 63750 हेक्टेयर भूमि पर खरीफ व रबी फसल की खेती होती है. लेकिन, सिर्फ 14504 हेक्टेयर भूमि ही सिंचित है. इनमें से 4636 हेक्टेयर भूमि नहर सिंचाई परियोजना से सिंचित है. शेष सभी तालाब, कुआं व अन्य विधि से सिंचित है.

चास व चंदनकियारी प्रखंड के 54 गांवों को मिलेगा लाभ

जिले में सिंचाई के नाम पर सिर्फ एक ही नहर परियोजना है, गवाई बराज. बड़ी बात यह कि इस परियोजना को पूरा होने में भी चार दशक से अधिक का समय लगा. परियोजना पिछले सप्ताह ही शुरू हुई है. इससे चास व चंदनकियारी प्रखंड का 54 गांवों को लाभ मिलेगा. इसके अलावा जिले में एक अन्य नहर है तेनुघाट-बोकारो नहर, लेकिन उसका इस्तेमाल कृषि उपयोगिता के लिए वृहत पैमाने पर नहीं होता. तेनुघाट-बोकारो नहर का इस्तेमाल बोकारो स्टील प्लांट के उत्पादन के लिए होता है. हालांकि, कई जगह पैन बनाकर कृषि होती है. जबकि, डैम का प्रबंधन सिंचाई विभाग से ही किया जाता है.

हजारों जतन के बाद धरातल पर आई गवई बराज परियोजना

गवई बैराज ने 2023 में धरातल पर काम करना शुरू किया है. इससे पहले 70 के दशक से लगातार योजना फाइल पर दौड़ रही थी. 70 के दशक में योजना को पहली बार धरातल पर उतारने की पहल हुई. 54 गांवों की 4636 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने वाली यह परियोजना बनी. लेकिन, फाइल में सिमट कर ही रह गयी थी. आधा-अधूरा निर्माण हुआ. बाद में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 18 दिसंबर 2016 को इस परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया. 13054.40 लाख की लागत से योजना को मंजूरी मिली. 12 गेटों को दुरुस्त, क्षतिग्रस्त एफलक्स बांध का निर्माण, बराज के डाउन स्ट्रीम में लिप प्रोटेक्शन, नहरों की तल सफाई, तटबंधों का सुदृढ़ीकरण, बायीं मुख्य नहर में 68 आउटलेट व दांयी मुख्य नहर में 21 आउटलेट का पुनर्निमाण करने आदि सहित कई कामों को पूरा करने का काम शुरू हुआ. जून 2018 में निर्माण पूरा करना था. लेकिन, योजना धरातल पर 2023 में उतरी.

85 किमी है नहर की लंबाई

चार दशक पहले बने गवई बराज की तकनीकी खामियों के कारण पूरी नहर में कभी पानी नहीं बहा था. 10-15 किमी तक पानी बहने के बाद नहर सूखी ही रहती थी. गवई बराज से दो नहरें निकाली गयी है. एक की लंबाई 44.4 किमी व दूसरी की 10.5 किमी है. इसके अलावा दोनों नहरों से कई गांवों में निकली छोटी-छोटी नहरें 30 किमी लंबी हैं.

कई गांवों के किसानों को फायदा

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