बोकारो, बोकारो निवास स्थित सभागार में मंगलवार को उपायुक्त अजय नाथ झा की अध्यक्षता में जिला प्रशासन व बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) प्रबंधन के बीच उच्च स्तरीय समन्वय समिति की बैठक हुई. उपायुक्त ने कहा कि बोकारो जिला राज्य व देश के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आने वाले दिनों में बीएसएल का विस्तारीकरण भी किया जाना है. हाल ही में मुख्य सचिव का भी बोकारो में दौरा हुआ है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में बोकारो का विकास शामिल है. इस क्रम में जो बाधाएं हैं, उसे जिला प्रशासन दूर करेगा. उन्होंने कहा कि परस्पर संवाद, परस्पर सहयोग एवं संपर्क से हर समस्या का समाधान हो सकता है.
राष्ट्र व बेहतर समाज का निर्माण बोकारो स्टील प्रबंधन की प्राथमिकता : निदेशक प्रभारी
स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता, रोजगार सृजन पर विशेष बल
उपायुक्त ने बीएसएल प्रबंधन को निर्देश दिया कि नियोजन में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाए, ताकि उन्हें क्षेत्रीय औद्योगिक विकास से प्रत्यक्ष लाभ मिल सके. इस क्रम में बीएसएल ने बताया कि सभी प्रशिक्षण प्राप्त अप्रेंटिंस अभ्यर्थियों को एनएसई पोर्टल में अपलोड किया गया है. ऐसे में बिना अनुमति के किसी दूसरे का गेट पास निर्गत नहीं हो सकता है.
विस्थापित गांवों को मॉडल रेजिडेंस के रूप में करें विकसित
क्वार्टरों की मरम्मत व आवंटन के लिए करें एमओयू
मानक अनुरूप कांजी हाउस का निर्माण शुरू करें
बोकारो में सरकार के तय मानक के अनुरूप अगले तीन माह में कांजी हाउस का निर्माण कार्य शुरू करने का उपायुक्त ने बीएसएल प्रबंधन को निर्देश दिया. वहीं, बीएसएल प्रबंधन को निर्देश दिया कि आंतरिक कर्मियों तथा आस -पास के प्रभावित परिवारों के साथ नियमित संवाद स्थापित करते हुए उनके समस्याओं पर चर्चा कर समाधान करें.गरगा डैम के सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास की दिशा करें पहल
गरगा डैम की संरचना को सुदृढ़ करने व डीसी ने पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य करने को बीएसएल प्रबंधन को कहा. उपायुक्त ने इको हट निर्माण करने, वाटर एडवेंचर एक्टिविटी की व्यवस्था करने, शार्ट टर्म – लांग टर्म प्लान तैयार करने आदि पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा तेनुघाट डैम का विकास किया जा रहा है, उसी के तर्ज पर गरगा डैम का भी विकास करने का निर्देश दिया. इसमें बीएसएल-जिला प्रशासन की संयुक्त पहल होगी. इसके अलावा डैम परिसर की सड़क, लाइटिंग, सीसीटीवी, नियमित पुलिस पेट्रोलिंग आदि करने को संबंधित को कहा.
इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा, दिया जरूरी दिशा-निर्देश
बोकारो को शिक्षा, खेल और संस्कृति को नई ऊंचाई देना लक्ष्य
उपायुक्त ने कहा कि जिले में शिक्षा, खेल और संस्कृति को एक समग्र, समावेशी और डिजिटल स्वरूप प्रदान करने की दिशा में जिला प्रशासन व बीएसएल को संयुक्त पहल करना है. उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक, सशक्त और रचनात्मक बनाने के लिए इन क्षेत्रों में ठोस कदम उठाना जरूरी है.इ-लाइब्रेरी से छात्र जुड़ेंगे वैश्विक ज्ञान से
उपायुक्त ने जिला में एक आधुनिक कंप्यूटर युक्त डिजिटल पुस्तकालय (इ-लाइब्रेरी) की स्थापना करने की बात कही. जिसमें छात्र विश्व के प्रतिष्ठित पुस्तकालयों और शैक्षणिक पोर्टलों से सीधे जुड़ सकेंगे. लाइब्रेरी में हिंदी साहित्य, झारखंडी लोक साहित्य, अंग्रेजी और अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के पुस्तक संग्रह रहेंगे. यह पुस्तकालय युवाओं के लिए एक शोध, अध्ययन और संवाद का केंद्र होगा. वाई-फाई, डिजिटल नोट्स, इ-बुक्स, वीडियो लेक्चर, वर्चुअल सेमिनार आदि की व्यवस्था होगी.
खेलों को संस्थागत रूप, स्पोर्ट्स कैलेंडर तैयार करें
खेलों को संगठित रूप से प्रोत्साहित करने के लिए उपायुक्त ने जिला स्तरीय खेल समिति का गठन करने का निर्देश दिया. उन्होंने प्रत्येक वर्ष के लिए स्पोर्ट्स कैलेंडर जारी होगा, जिसमें फुटबॉल, ताइक्वांडो, आर्चरी, बैडमिंटन, एथलेटिक्स जैसे खेल प्रतियोगिता शामिल होंगे. स्कूल, कॉलेज व पंचायत स्तर पर प्रतियोगिताएं कराकर खेल प्रतिभाओं की पहचान और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की बात डीसी ने कही. वहीं, बदलते समय में विलुप्त हो रहे भारतीय पारंपरिक खेलों जैसे गिल्ली-डंडा, पिट्ठू, बांटी, रस्साकशी, कबड्डी, खो-खो आदि को फिर से जनप्रिय बनाने के लिए विशेष प्रतियोगिता आयोजित करने को कहा. डीसी ने कहा कि इन खेलों को पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर कराई जाए. इसका उद्देश्य बच्चों को सामूहिक खेल संस्कृति से जोड़ना है.
पुस्तक मेला और साहित्यिक कार्यक्रमों का करें आयोजन
उपायुक्त ने कहा कि बोकारो में पुस्तक मेला का आयोजन प्रस्तावित है, जिसमें प्रमुख राष्ट्रीय व स्थानीय प्रकाशन संस्थान भाग लेंगे. मेला में हिंदी, झारखंडी, अंग्रेजी, बच्चों की पुस्तकें, प्रतियोगी साहित्य, विदेशी लेखकों की कृति उपलब्ध होंगी. इस दौरान कवि सम्मेलन, लेखक संवाद, कहानी पाठ, बाल साहित्य मंच, साहित्यिक वर्कशॉप, बुक लॉन्च आदि आयोजनों की योजना बनाएं. इससे छात्रों और आमजनों में पठन संस्कृति और भाषा प्रेम को बढ़ावा मिलेगी.
फिल्म फेस्टिवल और थिएटर का करें आयोजन
ये थे मौजूद
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