Bokaro News : स्वच्छता पैमाने पर सुधरने के बजाय बिगड़ गयी चास नगर निगम की स्थिति

Bokaro News : स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में चास नगर निगम का नेशनल रैंक 717, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व फ्लूड मैनेजमेंट नहीं होने से हुआ नुकसान.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | July 18, 2025 10:36 PM
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सीपी सिंह, बोकारो, देश भर में शहरों के स्वच्छ शहर की रैंकिंग में कभी चास नगर निगम का प्रदेश में बोलबाला था. अब स्थिति नीचे से गिनी जाने लगी है. स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में चास नगर निगम को नेशनल रैंकिंग 717 प्राप्त हुआ है. बड़ी बात यह कि सर्वे में 820 शहरी क्षेत्र को शामिल किया गया था. स्वच्छता पैमाने में देश के जहां अन्य शहर साल दर साल बेहतर कर रहे हैं, वहीं चास की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है. पिछले साल के सर्वे में चास को नेशनल रैंक 243 प्राप्त हुआ था. वहीं प्रदेश में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ था. इस साल चास को प्रदेश में 28वां रैंक मिला है. जानकारों की माने तो चास नगर निगम के स्वच्छता सर्वे में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व फ्लूड मैनेजमेंट का नहीं होना है. निगम क्षेत्र से हर दिन सैंकड़ों टन कचरा निकलता है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने के कारण इसका निस्तारण नहीं हो पाता है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर निगम कई साल से कोशिश कर रहा है. लेकिन, स्थानीय कारणों से जमीन का मसला सुलझ नहीं रहा था. जानकारी के मुताबिक अब निगम ने इसके लिए जमीन की खरीदारी की गयी है. अलकुशा में लगभग आठ एकड़ जमीन खरीदारी की गयी है. इसके अलावा फ्लूड मैनेजमेंट की दिशा में भी काम चल रहा है.

पब्लिक टॉयलेट की सफाई 83 से गिरकर 17 प्रतिशत हुई

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में चास की स्थिति पिछले साल के सर्वे के मुकाबले हर क्षेत्र में कम हुई है. डोर टू डोर कचरा संग्रहण में इस साल चास को 69 प्रतिशत अंक मिला है. जबकि पिछले साल 85 प्रतिशत था. इसी तरह स्त्रोत पृथककरण मामले में चास का प्रदर्शन 30 प्रतिशत से गिरकर 13 प्रतिशत हो गयी है. कचरा प्रोसेसिंग में पिछले साल चास को 49 प्रतिशत अंक मिला था. इस साल 43 प्रतिशत अंक मिला है. आवासीय क्षेत्र की सफाई में पिछले साल के अनुपात में 85 प्रतिशत के मुकाबले 88 प्रतिशत अंक मिला है. जबकि बाजार क्षेत्र में सफाई पिछले साल के मुकाबले 05 प्रतिशत कम हुआ है. जल समिति की सफाई में 50 प्रतिशत की कमी हुई है. वहीं पब्लिक टॉयलेट की सफाई पिछले साल के 83 प्रतिशत से गिरकर 17 प्रतिशत हो गया है.

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