Bokaro News: नक्सल इलाके में आधी रात सड़क निर्माण पर हुआ बवाल, ग्रामीणों ने रुकवाया काम

Bokaro News: कसमार प्रखंड के नक्सल प्रभावित हिसीम पहाड़ पर ठेकेदार आधी रात को जंगल के बीच सड़क निर्माण कार्य करवा रहे थे. इसकी जानकारी होते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे और निर्माण कार्य रुकवाया. ग्रामीणों का कहना है कि घटिया निर्माण कार्य करने के लिए ठेकेदार ने आधी रात का समय चुना है.

By Dipali Kumari | July 14, 2025 1:26 PM
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Bokaro News | कसमार, दीपक सवाल: बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के नक्सल प्रभावित हिसीम पहाड़ पर ठेकेदार आधी रात को जंगल के बीच सड़क निर्माण कार्य करवा रहे थे. आधी रात को निर्माण कार्य की जानकारी मिलते ही हिसीम, केडला, चौड़ा, देसवल समेत आसपास के गांवों के आक्रोशित ग्रामीण मौके पर पहुंचे और निर्माण कार्य पर विराम लगवाया. ग्रामीणों का कहना है कि घटिया निर्माण कार्य करने के लिए ठेकेदार ने आधी रात का समय चुना है.

ठेकेदार मनमर्जी से कर रहा घटिया काम – ग्रामीण

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार मुरहुलसूदी पंचायत के कैराझरना से हिसीम होते हुए केदला गांव तक सड़क निर्माण होना है. पिछले 6 महीनों से यह निर्माण कार्य जारी है. कई जगहों पर पीसीसी निर्माण का काम हो चुका है. ग्रामीणों ने कहा कि पहले भी निर्माण कार्य में गुणवत्ता की शिकायत की गयी थी, लेकिन ठेकेदार अपनी मनमर्जी से काम करता रहा.

एक इंच से भी कम की हो रही थी पिचिंग

शनिवार की रात करीब 10 बजे दर्जनों मजदूर और आधे दर्जन हाइवा में सामग्री लाकर अलकतरायुक्त पिचिंग का काम शुरू कर दिया गया. ग्रामीणों के अनुसार, जब वे लोग मौके पर पहुंचे तो देखा कि दो इंच की बजाय एक इंच से भी कम पिचिंग की जा रही थी. लगभग आधी रात को नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में जंगल के बीच आकर काम करने की वजह पूछी गयी तो किसी ने कुछ जवाब नहीं दिया. इसके बाद ग्रामीणों ने उसका विरोध किया और निर्माण कार्य रुकवा दिया.

नक्सल इलाके में आधी रात को काम करने की क्या थी मजबूरी?

मौके पर मौजूद आनंद महतो, झरीराम महतो, नितेश करमाली आदि ने कहा कि लंबी प्रतीक्षा के बाद यह सड़क बन रही है. कई दशक से चौड़ा को हिसीम पहाड़ के गांवों से सीधे तौर पर जोड़ने की मांग उठ रही थी. सभी लोग चाहते हैं कि यह सड़क बनें, लेकिन घटिया निर्माण कार्य नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि यह न केवल नक्सल प्रवाहित क्षेत्र के रूप में चिन्हित है, बल्कि घना जंगल क्षेत्र होने के कारण हिंसक जंगली जानवरों के हमले का खतरा भी बना रहता है. इस स्थिति में ऐसी क्या वजह थी कि ठेकेदार मजदूरों के जान को जोखिम में डालकर लगभग आधी रात को कम कराने पहुंच गए थे.

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अभियंता की देखरेख में हो गुणवत्तापूर्ण कार्य

आनंद महतो ने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि ठेकेदार जैसे-तैसे काम करा कर निपट लेना चाहता है. उन्होंने कहा किया कि यह विरोध इसलिए किया गया है ताकि अभियंता की देखरेख में गुणवत्तापूर्ण कार्य हो तथा इससे पहले के कार्यों में जो गड़बड़ियां की गई है, उसमें भी सुधार किया जाए.

निर्माण कार्य में बरती जा रही है भारी लापरवाही

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य के दौरान सड़क पर ठीक से बोल्डर भी नहीं बिछाया गया है और ना ही रोलर चलाया गया है. केवल डस्ट डालकर एक इंची से भी कम पिचिंग करने का प्रयास किया जा रहा है. बताया गया कि इससे पहले ढलाई का जो काम हुआ है, उसमें भी गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है. यही वजह है कि 3-4 महीनों में ही जगह-जगह पर पीसीसी में दरारें पड़ने लगी है. ग्रामीणों ने कहा कि पिचिंग स्थल पर पैरों से हल्का रगड़ने मात्र से ही वह उखड़ जा रही है. ऐसे में गाड़ियों के चलने पर सड़क की क्या दशा होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

4 महीने में ही दरक गयी पुलिया

इस सड़क निर्माण योजना में कई जगहों पर पुलिया निर्माण कार्य भी किया गया है. इसमें एक पुलिया 4 महीने के दौरान ही पूरी तरह से दरक गयी है. ग्रामीणों ने कहा कि प्राक्कलन के अनुरूप काम नहीं करने के कारण ही यह दशा हुई है. भीषण गर्मी के दिनों में ढलाई की गयी और पानी भी नहीं दिया गया. अगर बड़ी गाड़ियां इस पुलिया से होकर गुजरेगी तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

वन भूमि का नहीं लिया गया क्लीयरेंस

इस योजना के तहत सड़क निर्माण के लिए वन भूमि पर भी उपयोग भी किया जा रहा है, जबकि अभी तक वन भूमि का अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है. वनकर्मी ठाकुरदास महतो ने बताया कि विभाग से अभी तक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है और ना ही विभाग के कर्मियों की उपस्थिति में भूमि की मापी की गयी है. ठेकेदार ने अपने स्तर से नापी करा कर वन भूमि पर बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के काम शुरू कर दिया है.

नहीं लगा है कोई शिलापट्ट

योजना को लेकर कहीं पर कोई शिलापट्ट नहीं लगाया गया है. जबकि नियमतः निर्माण स्थल पर शिलापट्ट लगाकर योजना से संबंधित सभी जानकारी अंकित की जानी है. ग्रामीणों ने बताया की शिलान्यास के समय औपचारिकतावश एक शिलापट्ट लगाया गया था, जिसे बाद में ठेकेदार ने हटवा दिया है.

इन ग्रामीणों ने किया विरोध

लगभग आधी रात को जैसे तैसे सड़क निर्माण कार्य करने का विरोध करने वालों में आनंद कुमार महतो, झरीराम महतो, नितेश करमाली, ठाकुर महतो सुशील महतो रविंद्र महतो प्रवीण महतो नितेश महतो विकास महतो जितेंद्र महतो चंडी चरण महतो कुलदीप महतो रवि महतो सुजीत महतो सुदर्शन महतो अरुण महतो लक्ष्मण माली सुरेंद्र माली रिजु मुर्मू नूनीवाला शरण पूर्णी देवी रतनी देवी अपनी देवी संजोता देवी आदि शामिल थे.

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