बोकारो, चिन्मय विद्यालय बोकारो में मानस ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती ने चिन्मय विद्यालय बोकारो के सप्तऋषि भवन ऑडिटोरियम में 11वीं-12वीं के छात्र-छात्राओं को संबोधित किया. छात्रों को जीवन में सफल होने और सुख से जीवन जीने का बताया. स्वामी अद्वैतानंद ने समकालीन परिदृश्य से कई दृष्टांतों के माध्यम से सफल होने के उपाय बताया. कहा कि हर एक मनुष्य के अंदर नर्सैगिक अधिकार है. सुखी होना, आनंदपूर्वक जीवन जीना है. लेकिन यह निर्भर करता है, उसकी सफलता पर, उसकी उपलब्धि पर. स्वामी अद्वैतानंद ने कहा कि सफलता और सुख दोनों एक हीं सिक्के के दो पहलू हैं. लेकिन, यह सफलता मनुष्य में अंतर्निहित सद्गुणों पर आधारित होती है. बाहय गुण उतने प्रभावित नहीं होते. प्रसिद्ध वैज्ञानिक मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि डॉ. कलाम कोई खूबसूरत व्यक्ति के स्वामी नहीं थे. लेकिन, उनका कृतित्व, उनका सद्गुण व प्रेम हमेशा याद रहेगा. हमें लाभन्वित करता रहेगा. एक बार उन्होंने कहा कि आइ एम नॉट हैंडसम, बट आई केन एक्सटेंड माई हेंड टू हेल्प समवन.
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