Bokaro News : समय से पहले आने वाला माॅनसून हो गया गायब, अब देरी से खेती हो सकती है प्रभावित

Bokaro News : मई माह में सामान्य से अधिक हुई बारिश, जून में अब तक सूखे जैसी स्थिति, धान की खेती के लिए बारिश का समय से होना बहुत जरूरी है.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | June 10, 2025 11:24 PM
an image

बोकारो, इस वर्ष माॅनसून समय से पहले आने की बात कही गयी थी, पर अचानक से माॅनसून कहीं हवाओं में गुम हो गया. बोकारो का मौसम कुछ ऐसा ही हो गया है. एक सप्ताह पहले तक कभी बूंदाबांदी, कभी रिमझिम तो कभी झूम कर बरसने वाले बादल गायब हो गये हैं. मई माह में सामान्य से 160% अधिक बरसने वाले बादल जून में सुस्त पड़ गये हैं. बताते चलें कि मई माह में सामान्य तौर पर 45.8 मिमी बारिश होती है, लेकिन मई 2025 में 118.9 मिमी बारिश हुई. वहीं जून में माॅनसून सुस्त पड़ गया. नौ जून तक सामान्य तौर पर 3.4 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन बारिश बिल्कुल नदारद रही. माॅनसून की देरी का असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर विपरीत पड़ सकता है. क्योंकि फसलों के लिए मिट्टी में नमी कम होगी और इसका प्रभाव जर्मिनेशन (बीज के अंकुरण) पर देखने को मिलेगा. धान की खेती के लिए बारिश का समय से होना अति आवश्यक है.

33,000 हेक्टेयर भूमि में होती है धान की खेती

बोकारो जिला में सामान्य तौर पर धान की खेती 33,000 हेक्टेयर भूमि में होती है. कृषि विभाग किसानों को बीज उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठा रहा है, जैसे कि पहले लॉट में हाइब्रिड धान के 1550 क्विंटल और प्रमाणित धान के 1800 क्विंटल बीज आवंटित किये गये हैं. प्री माॅनसून की बारिश और रोहिणी नक्षत्र को देखते हुए किसान बिहन की तैयारी में जुट गये थे. खेतों में बकायदा हल चलाया जाने लगा था. लेकिन, बादलों के बदली चाल ने किसानों की जमीन के बदले उत्साह पर पानी फेर दिया.

जून के मध्य तक मॉनसून के पहुंचने की संभावना

माॅनसून की बारिश धान की बुआई के लिए महत्वपूर्ण

विशेषज्ञों की माने तो माॅनसून की बारिश धान की बुआई के लिए महत्वपूर्ण है. यदि मानसून में देरी होती है, तो बुआई में देरी हो सकती है, जिससे फसल के विकास का समय कम हो जाता है. धान को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, और माॅनसून में देरी से मिट्टी में नमी की कमी हो जाती है, जिससे फसल की वृद्धि प्रभावित होती है. बुआई में देरी और फसल की वृद्धि में कमी से धान का उत्पादन कम हो जाता है. माॅनसून में देरी से किसान सिंचाई के लिए अधिक निर्भर हो जाते हैं, जिससे लागत बढ़ती है और डीजल की खपत भी बढ़ती है. बताते चलें कि बोकारो जिला में धान की खेती बड़े स्तर पर माॅनसून पर ही निर्भर है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

यहां बोकारो न्यूज़ (Bokaro News) , बोकारो हिंदी समाचार (Bokaro News in Hindi), ताज़ा बोकारो समाचार (Latest Bokaro Samachar), बोकारो पॉलिटिक्स न्यूज़ (Bokaro Politics News), बोकारो एजुकेशन न्यूज़ (Bokaro Education News), बोकारो मौसम न्यूज़ (Bokaro Weather News) और बोकारो क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version