राकेश वर्मा, बेरमो, सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र की कथारा कोलियरी कोयला उत्पादन के मामले में धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है. गहरी माइंस के लिए सीसीएल में यह कोलियरी चर्चित है. क्षेत्रीय प्रबंधन फिलहाल इसके भूगर्भ में छिपे 18 मिलियन (180 लाख) टन कोयले के खनन के लिए भविष्य की कार्ययोजना पर काम कर रहा है. प्रबंधन के सामने फिलहाल सबसे बड़ी समस्या यहां से उत्पादित कोयला को डिस्पैच करने की है. यहां से उत्पादित कोयला वाशरी -ग्रेड वन का कोयला है और इसे कथारा व स्वांग वाशरी में ही आपूर्ति किया जाना है. कुछ वर्षों से उक्त दोनों वाशरी की स्थिति काफी खराब हो गयी है तथा अपनी क्षमता के अनुसार कोयले को वॉश नहीं कर पा रही हैं. नतीजतन दोनों वाशरियों में कोल स्टॉक बढ़ता जा रहा है. कथारा कोलियरी से उत्पादित कोल का डिस्पैच नहीं होने के कारण कोलियरी में कोल स्टॉक बढ़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति में अब प्रबंंधन ने इ-ऑक्शन के माध्यम से डिस्पैच करने का निर्णय लिया है. प्रबंधन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कथारा कोलियरी के पास फिलहाल करीब तीन लाख टन कोयले का स्टॉक है. कथारा वाशरी के पास 4.5 लाख टन का स्टॉक हो गया है. प्रबंधन के अनुसार कथारा कोलियरी से उत्पादित वाशरी ग्रेड वन कोयले को अगर समय पर डिस्पैच नहीं किया गया तो पांच-छह माह में इसमें आग पकड़ लेती है.
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