Hundru fall in Jharkhand : रांची : कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच झारखंड में पर्यटन स्थलों में प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी. दो सितंबर से एक बार फिर पर्यटक स्थलों को खोल दिया गया है. पर्यटक सैर-सपाटे के लिए पहुंच रहे हैं. रांची के अनगड़ा इलाके के हुंडरू फॉल में भी पर्यटक रोजाना आ रहे हैं और प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद ले रहे हैं. हुंडरू की बात आते ही पर्यटन मित्र कौशल्या याद आ जाती हैं. ये अपनी जान पर खेलकर भी महिला पर्यटकों की जान बचाती हैं.
कौशल्या देवी. उम्र करीब 30 वर्ष. रांची जिले के हुंडरू फॉल में पर्यटन मित्र हैं. इनकी सादगी देखकर आप यकीन नहीं करेंगे कि ये किसी पर्यटक की जान भी बचा सकती हैं, लेकिन विधवा कौशल्या के हौसले काफी बुलंद हैं. इन्होंने फॉल में डूबती एक पर्यटक महिला की जान बचायी है. वह हमेशा ड्यूटी पर मुस्तैद रहती हैं, ताकि महिला पर्यटकों को किसी तरह की मुसीबत का सामना नहीं करना पड़े.
पति के निधन के बाद गृहिणी कौशल्या देवी को पर्यटन मित्र बनाया गया. इसके पहले इनके पति पर्यटन मित्र के रूप में हुंडरू फॉल में काम करते थे. पति के निधन के बाद कौशल्या को तैराकी का विधिवत प्रशिक्षण दिया गया. इससे इनका हौसला बढ़ा. कौशल्या कहती हैं कि पहले उन्हें भी पानी से डर लगता था, लेकिन रांची में तैराकी का प्रशिक्षण मिलने के बाद अब गहरे पानी में उतरने में भी डर नहीं लगता.
झारखंड के 7 फॉल के 93 पर्यटन मित्रों के लिए रांची के खेलगांव में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इसमें कौशल्या ने भी भाग लिया और हौसले से सबको हैरत में डाल दिया. इस दौरान इन्हें पुरस्कार भी मिला था.
हुंडरु फॉल के पर्यटन मित्र राजकिशोर प्रसाद व बालेश्वर बेदिया कहते हैं कि कौशल्या देवी भले ही विधवा हैं, लेकिन इनका हौसला देखते ही बनता है. महिला पर्यटकों व बच्चों पर इनकी पैनी नजर होती है, ताकि फॉल में लापरवाही से कोई हादसा न हो जाये. वह अच्छी गाइड की भूमिका निभाती हैं.
आठवीं कक्षा पास कौशल्या हुंडरू गांव की हैं. उन्होंने हुंडरू फॉल घूमने आयी पश्चिम बंगाल की एक महिला पर्यटक की जान बचाई थी. फिसलने के कारण महिला गहरे पानी में गिर रही थी, तभी तत्परता दिखाते हुए कौशल्या ने अपनी जान पर खेलकर उस महिला पर्यटक की जान बचा ली थी.
झारखंड के पर्यटन मित्रों की मानें, तो उन्हें पीएफ और इएसआई भी नहीं मिलता. सिर्फ मिलते हैं मासिक छह हजार रुपये. काम 30 दिनों तक, लेकिन मानदेय सिर्फ 26 दिनों का. वह भी समय से नहीं. नयी सरकार से इन्हें काफी उम्मीदें हैं.
हुंडरू फॉल की महिला पर्यटन मित्र कौशल्या देवी कहती हैं कि समय पर मानदेय मिलता, तो परिवार चलाने में मदद मिलती. यही उनकी आजीविका का साधन है. नयी सरकार से काफी उम्मीदें हैं. पीएफ व इएसआई की सुविधा मिले, तो पर्यटन मित्रों को काफी खुशी होगी.
कोरोना महामारी के कहर के कारण पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था. दो सितंबर 2020 से एक बार फिर कोरोना के साये में पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. एक दिन में 150 पर्यटक ही प्रवेश कर सकेंगे. हुंडरू फॉल में रोजाना 100 से अधिक पर्यटक बिहार व बंगाल से पहुंच रहे हैं. सीमित संख्या होने के कारण कई को निराश होकर लौटना भी पड़ रहा है. यहां की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी. सीढ़ियों से काफी नीचे उतरना और खूबसूरत वादियों के बीच सुकून के पल गुजारना आप भूल नहीं सकेंगे.
रांची-रामगढ़ सीमा पर है हुंडरू जलप्रपात. स्वर्णरेखा नदी का यह जलप्रपात 322 फीट की ऊंचाई से गिरता है. लोध जलप्रपात के बाद यह राज्य का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है, वहीं देश में सबसे ऊंचाई से गिरने वाले जलप्रपातों में यह 34वें स्थान पर आता है. अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण इसका लाभ पनबिजली के रूप में भी मिल रहा है. गेतलसूद डैम के चार फाटक से पानी का रिसाव होने पर हुंडरू फॉल की रौनक और बढ़ जाती है. जब तक गेतलसूद डैम के फाटक का रिसाव जारी रहता है, तब तक फॉल का गिरता पानी अपनी ओर आकर्षित करता रहता है. दिसंबर से लेकर फरवरी-मार्च तक झारखंड समेत बंगाल व ओड़िशा के पर्यटकों की अच्छी संख्या देखी जाती है.
रांची से करीब 48 किमी रांची-रामगढ़ की सीमा पर है हुंडरू फॉल. रांची-रामगढ़ के शहीद शेख भिखारी द्वार से सिकिदिरी थाना होते हुए हुंडरू फॉल पहुंचा जा सकता है. रांची के कांटाटोली, नामकुम, टाटीसिल्वे होते हुए अनगड़ा थाना से बायीं ओर होते हुए आते हैं, तो गेतलसूद होकर आप हुंडरू फॉल पहुंच सकते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra