कलाकारों का गांव साड़म
झारखंड के बोकारो जिले के साड़म गांव में आधा दर्जन परिवार मूर्ति व अन्य कलाकारी करते हैं. विभिन्न देवी-देवताओं के अलावा वे महापुरुषों की मूर्ति बनाने में काफी निपुण हैं. पिछली चार पुस्त से लोग मूर्ति व पेटिंग की कलाकारी कर रहे हैं और इसी पेशे से जुड़कर रह रहे हैं. उमाचरण प्रसाद की 50 वर्ष पूर्व मौत हो गयी है. उन्हीं की प्रेरणा से अन्य परिवार के लोग इस पेशे से जुड़े. स्व. उमाचरण प्रसाद के पुत्र सुरश्याम प्रसाद सहित उनके दो पुत्र गोपी श्याम प्रसाद व कृष्ण श्याम प्रसाद पिता और दादा की प्रेरणा से भगवान के अलावा विभिन्न देवी देवताओं एवं महापुरुषों की मूर्तियां बनाने के कार्यों से जुड़े हैं.
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उमाचरण प्रसाद को राजा ने सोने के मेडल से किया था सम्मानित
जानकारी के अनुसार तीन दशक पूर्व राजा कामाख्या नारायण को कलाकार उमाचरण प्रसाद ने अपनी कला से मिट्टी का फल बनाकर दिया था. एक टोकरी में विभिन्न फलों के साथ मिट्टी के बने फलों को मिलाकर उन्हें प्रदान किया गया था. राजा जब चाकू निकालकर एक फल को काटने लगे, तो हाथ में उठाया गया फल मिट्टी का बना हुआ था. वे फल के रूप में कलाकारी देख काफी प्रभावित हुए और उमाचरण प्रसाद की हौसला अफजाई करते हुए सोने का मेडल प्रदान किया था.
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हजारीबाग के खादी भंडार में रखी गयी है प्रतिमा
कलाकार उमाचरण प्रसाद के पुत्र श्याम प्रसाद के अलावा दोनों पोता इस पेशे से जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि स्व. उमाचरण प्रसाद के द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चरखा चलाती प्रतिमा हजारीबाग के खादी भंडार में रखी गयी है. इस पेशे में साड़म गांव के निवासी विराट आर्ट के नाम से जाने जाने वाले विराट प्रसाद, संदीप प्रसाद, अंजनी प्रसाद के अलावा स्व मधुसूदन प्रसाद के पुत्र कमल कांत प्रसाद, राम प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद आदि कलाकार मूर्तियां बना रहे हैं. हां, ये सच है कि वे आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हैं. उन्हें मदद की दरकार है. वे कहते हैं कि सरकार से मदद मिल जाती, तो वे कला के क्षेत्र में और बेहतर कार्य कर सकते थे. उन्हें सरकार से काफी उम्मीदें हैं.
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आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे कलाकार
बोकारो के साड़म गांव के कलाकारों का कहना है कि वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. सरकार सहयोग करेगी, तो कला के क्षेत्र में और भी बेहतर से बेहतर कार्य कर सकते हैं. साड़म में कलाकारों के द्वारा निर्मित मूर्तियां बोकारो के अलावा हजारीबाग, रामगढ़ एवं चतरा समेत अन्य जिलों में ले जायी जाती हैं.
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