Mothers Day: पति और 2 युवा पुत्रों की मौत के बाद परिवार की ढाल बनीं पूर्णिमा देवी

Mothers Day: बड़े पुत्र दीपक सिन्हा ने इंटर और छोटे पुत्र संजय सिन्हा ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की. संजय सिन्हा को अनुकंपा पर सीसीएल में नौकरी दिलायी. खासमहल परियोजना में सर्वेयर के पद पर नौकरी की, लेकिन काल को कुछ और ही मंजूर था. संजय सिन्हा की मौत ब्लड शुगर के कारण हो गयी. इसके बाद उनकी पत्नी को सीसीएल में नियोजन मिला.

By Mithilesh Jha | May 11, 2025 12:50 AM
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Mothers Day| बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : बोकारो जिले के बेरमो की जरीडीह बाजार निवासी 83 वर्षीय पूर्णिमा देवी उर्फ दीदीजी का संघर्षों से भरा जीवन प्रेरणादायक है. विषम परिस्थिति में वह परिवार के लिए ढाल बनकर खड़ी रहीं. उनके पति बद्री प्रसाद सीसीएल के करगली एक्सकैवेशन में कार्यरत थे. अचानक उनकी मौत हो गयी, तो पूर्णिमा देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारीं. दो पुत्रों व एक पुत्री के लिए वह मां के अलावा पिता भी बन गयीं. उनकी परवरिश में कोई कसर बाकी नहीं रखा.

बड़े बेटे ने इंटर और छोटे ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की

बड़े पुत्र दीपक सिन्हा ने इंटर और छोटे पुत्र संजय सिन्हा ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की. संजय सिन्हा को अनुकंपा पर सीसीएल में नौकरी दिलायी. खासमहल परियोजना में सर्वेयर के पद पर नौकरी की, लेकिन काल को कुछ और ही मंजूर था. संजय सिन्हा की मौत ब्लड शुगर के कारण हो गयी. इसके बाद उनकी पत्नी को सीसीएल में नियोजन मिला.

ब्रेन हेमरेज के कारण हुई बड़े पुत्र की मौत

इसके बाद पूर्णिमा देवी के बड़े पुत्र दीपक सिन्हा की भी मौत वर्ष 2024 में ब्रेन हेमरेज के कारण हो गयी. पति व दो युवा पुत्रों की मौत के बाद पूर्णिमा देवी परिवार के लिए ढाल बनी रहीं. पुत्री सीमा सिन्हा की शादी करायी. सीमा के पति रेलवे में थे, लेकिन वर्ष 2001 में उनकी भी मौत हो गयी. पूर्णिमा देवी बेटी के साथ इस दुख के साथ खड़ी रहीं.

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चीफ बुकिंग क्लर्क के पद से रिटायर हुईं पूर्णिमा की बेटी

पति के स्थान पर सीमा को रेलवे में नौकरी मिली और वह पुरुलिया में चीफ बुकिंग क्लर्क के पद पर कार्यरत रहीं. हाल में ही में वह सेवानिवृत्त हुईं हैं. फिलहाल, पूर्णिमा देवी अपने बड़े पुत्र स्व दीपक सिन्हा की पत्नी और उनके एक पुत्र के साथ रह रहीं हैं. पेंशन के पैसे से परिवार चला रहीं हैं. उनकी दो पोतियों की शादी हो गयी है.

संघर्ष के दिनों को याद करके रो पड़तीं हैं पूर्णिमा देवी

पूर्णिमा देवी संघर्षों के दिनों को याद कर फफक-फफक कर रो पड़तीं हैं. सीमा सिन्हा ने कहा कि मां का संघर्ष हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. पूर्णिमा देवी ने बताया कि पिता बद्री नारायण सिंह और मां मीरा देवी स्वतंत्रता सेनानी थे. दोनों का नाम बेरमो प्रखंड कार्यालय में लगे स्वतंत्रता सेनानियों के शिलापट्ट में अंकित है. पति स्व बद्री प्रसाद एक बेहतरीन वॉलीबॉल कोच भी थे.

सहायक शिक्षिका के पद से वर्ष 2004 में हुईं सेवानिवृत्त

पूर्णिमा देवी जरीडीह बस्ती नीचे पट्टी स्थित प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत रहीं. वर्ष 2004 में सेवानिवृत्त हुईं. वर्ष 1962 में उन्होंने इस विद्यालय में बतौर सहायक शिक्षिका नौकरी ज्वाइन किया था. वर्ष 1998 में उनका स्थानांतरण जरीडीह बाजार स्थित बेरमो मध्य विद्यालय में हो गया. कुछ माह के बाद जरीडीह मुख्य बाजार दुर्गा मंदिर के निकट प्राथमिक विद्यालय में उनका तबादला कर दिया गया और इसी विद्यालय से वह सेवानिवृत्त हुईं.

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