चड़क पूजा के बाद सरहुल मनाने की है परंपरा
इस दौरान नाइया ने ग्रामीणों के बीच सारइ (सखुआ) फूल का वितरण किया. ग्रामीणों ने बताया कि मंजूरा गांव में चड़क पूजा के उपरांत सरहुल परब मनाने की परंपरा गांव बसने के दौरान से ही चली आ रही है. नाइया जेहराथान कुड़मी समेत आदिवासियों की गहरी आस्था का केंद्र है. इस परब के माध्यम से भूमिगत जल स्तर का अनुमान एवं भविष्य में होने वाली वर्षा की संभावना का पूर्वानुमान लगाते हैं, जो कि आगामी धान की फसल में काफी लाभदायक होता है.
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कांका के लोटा में पानी भरकर 5 दिन तक रखा जाता है
इसके लिए नाइया जेहराथान में सरहुल पूजा के दौरान कांसा के लोटा में पानी भरकर उसे अगले 5 दिनों तक घर में रखा जाता है. 5 दिन के बाद लोटा में मौजूद जल के स्तर से अनुमान लगाया जाता है कि इस वर्ष वर्षा की स्थिति कैसी रहेगी. मौके पर भागीरथ बंसरिआर, सदानंद गुलिआर, मिथिलेश महतो केटिआर, प्रवीण केसरिआर, ज्ञानी गुलिआर, कुलेश्वर केसरिआर, पियूष बंसरिआर, सहदेव झारखंडी, उमेश केसरिआर, अखिलेश केसरिआर, व अन्य मौजूद थे.
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