चाईबासा.पारंपरिक शादी-विवाह को कायम रखने के लिए शनिवार को आदिवासी हो समाज महासभा का मझगांव प्रखंड के घोड़ाबांदा गांव में अधिवेशन प्रारंभ हुआ. अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष मुकेश बिरुवा ने वार्षिक अधिवेशन के उद्देश्यों के बारे जानकारी दी. वहीं, प्रतिनिधि सभा में ग्रुप बनाकर प्रतिनिधियों ने हो समाज के शादी के संबंध में आवश्यक निर्णय पर बात की. इस दौरान बताया गया कि शादी के लिए जब प्रक्रिया शुरू होगी, तो सबसे पहले परंपरा के अनुसार ‘बाला’ होगा. बाला में सर्वप्रथम लड़की के यहां शादी की बात के लिए जाना होगा, लेकिन यदि शादी लड़का-लड़की स्वयं या लव मैरिज कर लें, तो उस स्थिति में लड़के के यहां ””बाला’ की प्रक्रिया शुरू होगी. बाला में अपने पारंपरिक चटाई- जटि (बैठका) पर बैठक कर शादी के संबंध में बात तय करनी होगी. पारंपरिक चटाई में मेरोम ईई और दुबी तसड यानी दूब घास की परंपरा पूर्ण करनी होगी.
संबंधित खबर
और खबरें