चाईबासा.करीब 23 माह के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कोल्हान विश्वविद्यालय को स्थायी कुलपति मिल गया. मंगलवार को कोल्हान विश्वविद्यालय के 10वें कुलपति के रूप में प्रोफेसर डॉ अंजिला गुप्ता ने पदभार ग्रहण कर लिया. मंगलवार को उन्होंने कोल्हान आयुक्त कार्यालय पहुंचकर निवर्तमान कुलपति सह कोल्हान आयुक्त हरि कुमार केसरी से अपना पदभार लिया. इसके बाद वे कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पहुंचीं. यहां विश्वविद्यालय के प्रशासनिक पदाधिकारियों ने नये कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता का स्वागत किया. वहां से वे कुलपति कार्यालय पहुंचीं. जहां उन्होंने विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से परिचय प्राप्त किया. इस अवसर पर उन्हें बुके व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ आयोजित परिचय सत्र के समापन के तुरंत बाद विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागाध्यक्षों व संकायाध्यक्षों के साथ परिचय सत्र का आयोजन किया गया. मौके पर सभी विभागों की समस्याओं से अवगत हुईं. जल्द ही सभी समस्याओं के समाधान के लिए पहल करने व विश्वविद्यालय के शिक्षण को बेहतर करने के लिए निर्देश दिया.
मई 2023 से रिक्त था पद
कोल्हान विश्वविद्यालय में कुलपति का पद मई 2023 से रक्त पड़ा था. पूर्व कुलपति डॉ गंगाधर पांडा के रिटायर होने के बाद किसी की स्थायी कुलपति के तौर पर नियुक्ति नहीं हो सकी थी. राजभवन की ओर से कुलपति का प्रभार कोल्हान आयुक्त को सौंपा गया था. उन्हें सिर्फ वेतन, पेंशन व अन्य रूटीन कार्य की जिम्मेदारी दी गयी थी. नीतिगत फैसले लेने का अधिकार उन्हें नहीं होने की वजह से विश्वविद्यालय में कई महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गये थे. विश्वविद्यालय का समग्र विकास नहीं हो रहा था. इतना ही नहीं विश्वविद्यालय में कई अन्य महत्वपूर्ण पद भी रिक्त हैं. सभी पद प्रभारी के भरोसे चल रहे हैं.
स्थायी कुलपति नहीं रहने से 80 हजार छात्र-छात्राओं को खामियाजा भुगतना पड़ा
विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति नहीं रहने का खामियाजा करीब 80 हजार छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा. न तो समय पर डिग्री सर्टिफिकेट मिला और न ही किसी तरह का प्रमाण पत्र. प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी कई काम प्रभावित हुए. यूनिवर्सिटी में वीसी व प्रोवीसी के पद रिक्त होने के कारण सिंडिकेट, फाइनेंस कमेटी, एकेडमिक काउंसिल, एग्जामिनेशन बोर्ड, बिल्डिंग कमेटी की बैठक नहीं हो पायी. विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह तक लटका हुआ है. छात्र संघ का चुनाव नहीं हो पा रहा है. इसका मुख्य कारण सिंडिकेट की बैठक में विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न एजेंडों को प्रस्तुत किया जाता है, जिस पर विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया जाता है. साथ ही, विभिन्न प्रस्तावों को पारित कर अनुमति के लिए सरकार के पास भेजा जाता है. इसी तरह, फाइनेंस कमेटी की बैठक में विश्वविद्यालय के वित्तीय, एकेडमिक काउंसिल की बैठक में सिलेबस आदि से संबंधित निर्णय लिये जाते हैं. वीसी समेत अन्य महत्वपूर्ण पद खाली रहने की वजह से कोई काम नहीं हो पाया था. इतना ही नहीं, हालत यह हो गयी कि विवि के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में आउटसोर्स पर जितने साफ-सफाई कर्मी या सुरक्षाकर्मी बहाल हैं, उनका कार्य रिन्युअल भी नहीं हो रहा है, जिससे कॉलेजों में साफ-सफाई भी भगवान भरोसे है.
जवाब : जिस विश्वविद्यालय में पिछले दो वर्षों से रेगुलर कुलपति नहीं हो, वहां की कुछ समस्याएं समझी जा सकती है. विश्वविद्यालय की सभी तरह की समस्याओं के समाधान के लिए पहल की जायेगी. शिक्षण से संबंधित स्थिति को और बेहतर बनाया जायेगा, ताकि विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन समय पर उपलब्ध हो सके.
जवाब : इन समस्याओं का स्टडी करना जरूरी है. स्टूडेंट के हित व बेहतर शैक्षणिक माहौल के साथ शिक्षण प्रदान करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जायेगा. विद्यार्थियों का सत्र समय पर पूरा हो, इसका विशेष ध्यान रखा जायेगा.
सवाल : आउटसोर्स कर्मियों का मानदेय पिछले 9 माह से नहीं मिला है, इस समस्या का कैसे समाधान होगा ?
सवाल : केयू आदिवासी रिमोट क्षेत्र में बना विश्वविद्यालय है, कैसे देखती हैं. इसके विकास का क्या ब्लूप्रिंट है ?जवाब : आदिवासी क्षेत्र में बने विश्वविद्यालय मेरे लिए कोई नयी नहीं है. पूर्व में भी मैं छतीसगढ़ के गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कार्य कर चुकी हूं. उसके बाद जमशेदपुर के वीमेंस यूनिवर्सिटी में कार्य किया है. अब कोल्हान विश्वविद्यालय में पदभार संभाला है. क्षेत्र को जानती हूं. विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों पर लेकर जाने का प्रयास किया जायेगा.
जवाब : केयू में शिक्षकों की कमी को नियुक्ति के माध्यम से दूर किया जा सकेगा. शिक्षकों की नियुक्ति जेपीएससी करती है. लेकिन विश्वविद्यालय के बेहतर शिक्षण के लिए वहां भी अपील की जायेगी.
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