Chaibasa News : गुवा डाकघर में फर्जी पासबुक थमा कर गबन कर ली एफडी की राशि

धोखाधड़ी. 35 ग्राहकों के साथ दो करोड़ से भी अधिक राशि की हुई हेराफेरी, नये पोस्टमास्टर के ज्वाइन करने के बाद सामने आया मामला

By ATUL PATHAK | July 27, 2025 10:31 PM
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गुवा . गुवा मुख्य बाजार स्थित भारतीय डाकघर में करोड़ों रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) घोटाला का मामला सामने आया है. इसका पता तब चला जब ग्राहक अपना पासबुक चेक कराने पहुंचे. इसमें पाया गया कि डाकघर में उनके द्वारा जमा की गयी राशि दर्ज ही नहीं है. इस घोटाले में गुवा डाकघर के तत्कालीन पोस्टमास्टर विकास चंद्र कुइला का कथित रूप से नाम सामने आ रहा है. वह फरार है. इस घोटाले में कम से कम 35 ग्राहकों के करीब दो करोड़ रुपये की ठगी की बात सामने आयी है. यह आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है.

ग्राहक समझते रहे जमा हो रहा पैसा, पोस्टमास्टर करता रहा खेल :

इनकी राशि का हुआ गबन :

पूर्व में भी संदेह के घेरे में रहे थे विकास चंद्र कुइला :

सूत्रों के अनुसार, विकास चंद्र कुईला पर पहले भी अनियमितता के आरोप लगे थे. उसे गुवा से स्थानांतरित कर चिरिया डाकघर भेजा गया था. लेकिन, उसने वहां योगदान नहीं दिया और फरार हो गया.

ग्राहक पूछ रहे हैं-

अब ग्राहक सवाल कर रहे हैं कि अगर भारतीय डाक जैसे विश्वसनीय सरकारी संस्थान में पैसा सुरक्षित नहीं है, तो आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई कहां रखे? नकली पासबुक कैसे छप गयी. फर्जी फिक्स डिपॉजिट रसीद बनने तक किसी को खबर कैसे नहीं लगी. इस तरह के षड्यंत्र में और कौन-कौन शामिल थे. हालांकि इस मामले में अब तक न तो विभागीय जांच शुरू हुई है, न ही पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है. ग्राहकों की मांग है कि डाक विभाग व सरकार दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करे व उनका पैसा ब्याज समेत वापस करे.

घोटाले की पुष्टि की नए पोस्टमास्टर ने :

घोटाले की पुष्टि गुवा पोस्टमास्टर कर चुके हैं. पीड़ितों का कहना है कि यह केवल पोस्टमास्टर विकास कुईला का नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही का मामला हो सकता है. लगभग दो करोड़ की ठगी में और भी नाम सामने आ सकते हैं. 35 पीड़ितों की सूची में और नाम जुड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमास्टर कुईला ने साल 2021 से 2024 के बीच ग्राहकों को फिक्स डिपॉजिट के नाम पर फर्जी पासबुक दिये और पैसे सीधे खुद रख लिये.

क्या कहा वर्तमान पोस्टमास्टर ने

गुवा डाकघर के वर्तमान पोस्टमास्टर विवेक आनंद ने मीडिया से बातचीत में बताया उन्होंने जून 2025 में योगदान दिया. कुछ ग्राहक पासबुक लेकर आये थे. पहली ही नजर में पासबुक फर्जी लगी. जांच करने पर पाया कि उन पासबुक में दर्ज राशि का कोई रिकाॅर्ड हमारे डाकघर में नहीं है. अब तक 35 ऐसे केस आ चुके हैं. स्थानीय ग्रामीण व सामाजिक संगठन अब एकजुट होकर थाना में सामूहिक प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी में हैं.

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