चक्रधरपुर. 5 से 9 जून तक इस वर्ष हज के अरकान को पूरा किया जायेगा. करोड़ों लोग दुनिया भर से हज करने के लिए अरब का मक्का शहर पहुंच चुके हैं. हज हर उस मोमिन पर फर्ज है, जिसकी आर्थिक स्थिति अच्छी है. हज इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है. हर उस मुसलमान पर फर्ज है जो शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हैं. यह एक बार जीवन में करना अनिवार्य होता है. हज अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है. यह आत्मा की शुद्धि और पापों की माफी का माध्यम है. हज में अमीर-गरीब, राजा-रंक सभी एक समान कपड़ों (एहराम) में रहते हैं. इससे इस्लाम का भाईचारा और समानता का संदेश मिलता है. हज हजरत इब्राहिम (अ.), हजरत इस्माइल (अ.) और हजरत हाजरा (रजि.) की कुर्बानियों और अल्लाह की आजमाइशों को याद दिलाता है. हज का उद्देश्य अल्लाह की इबादत और रजा हासिल करना है. तकवा (परहेजगारी) और सब्र को अपनाने का बेहतर माध्यम है. हज से कुर्बानी, समर्पण और त्याग का भाव जागृत होता है. हज एक संपूर्ण आध्यात्मिक यात्रा है.
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