15 मार्च से पाटातारोब गांव में मागे पर्व
ग्रामीणों ने कहा है कि 15 मार्च से मागे पर्व शुरू हो जायेगा. उन्हें बिना रोक-टोक पर्व मनाने दिया जाए. मागे और बाहा पर्व में जंगल किनारे पूजा होती है. रातभर नाच- गान व खान-पान होता है. जब से गांव में सीआरपीएफ का कैंप जबरन लगाया गया है. तब से डर और दमन का माहौल है. निर्दोष आदिवासियों को माओवादी करार दिया जा रहा है. फर्जी मामले में प्रताड़ित किया जा रहा है. इससे पूर्व पुलिस पर दो ग्रामीण को पकड़ कर सीआरपीएफ कैंप और मुफस्सिल थाना में 12 दिन तक रखकर प्रताड़ित के बाद छोड़ने का आरोप लगाया. इसमें तुराम बहांदा एवं विजय बहांदा शामिल हैं.
नहीं खुल रहे स्कूल, पठन- पाठन ठप
ग्रामीणों के अनुसार, नक्सलियों ने गांव से सटे स्कूलों के शिक्षकों को विद्यालय आने से मना कर दिया है. ऐसे में पाटातोरोब व तुंबाहाका का प्राथमिक विद्यालय पिछले कई हफ्ते से बंद है. अभिभावकों को भय है कि बच्चे खेलते हुए कहीं जंगल की ओर न चले जायें. अबतक आइइडी की चपेट में आकर एक दर्जन से ज्यादा जवान घायल हो चुके हैं. वहीं चार ग्रामीणों की मौत हो चुकी है.
Also Read: झारखंड : महिलाओं में बदलाव देखना हो तो गुमला आइये, हड़िया-दारू बेचना छोड़ शहर को सुदंर बनाने में जुटी
जरूरत से ज्यादा चावल की खरीदारी पर नजर
वर्तमान में हो आदिवासियों का गांवों में मागे पर्व चल रहा है. मेहमान पहुंच रहे हैं. ऐसे में खाद्य सामग्रियों की खपत बढ़ गयी है. ऐसे में अगर ग्रामीण ज्यादा मात्रा में चावल खरीदकर लाते हैं, तो पुलिस की नजर में आ रहे हैं.
ग्राम सभा ने की बैठक, एसपी- डीसी को सौंपेगी ज्ञापन
इधर, पटातरोब गांव के ग्रामीणों ने ग्राम सभा कर डीसी और एसपी से मागे पर्व को स्वतंत्रता पूर्वक मनाने देने की अपील की है. इसे लेकर ग्रामीणों ने बैठक की और ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया. इस बैठक में जींगी बहांदा, सुखमती बहांदा, रानी बहांदा, रानी खंडाईत, तुराम बहांदा, रघुनाथ बहांदा, दामु बहांदा, चरिबा बहांदा, जोंको बहांदा, बुरशु पुरती, मारटीन पुरती, बामिया पुरती, अर्जुन खंडाईत, माड़दा खंडाईत, विजय बाहांदा, सेलाय कुंटिया व जानो बहांदा आदि उपस्थित थे.