चाईबासा.नदी-नाले व जलाशयों के लगातार सूखने की घटनाओं ने भविष्य में पानी के गंभीर संकट का अलार्म बजा दिया है. ऐसे में वर्षा जल संचयन ही एकमात्र उपाय है. हालांकि, इसके प्रति लोगों में जागरूकता की भारी कमी है. वहीं, पश्चिमी सिंहभूम में कुछ जगहों पर वर्षा जल संरक्षण शुरू किया गया है. इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं. सदर प्रखंड के केरकेट्टा गांव के ग्रामीणों ने बहुत पहले पानी के महत्व को समझ लिया था. वे 20 वर्षों से वर्षा जल का संचय कर रहे हैं. इसका असर है कि गांव में पानी की किल्लत नहीं होती है. वहीं, वर्षा के पानी से खेती व मत्स्य पालन कर आय भी कर रहे हैं. गांव के किसान जगदीश सुंडी ने ग्रामीणों के इसके लिए जागरूक किया. झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) की ओर से ग्रामीण बीते 20 वर्षों से वर्षा जल का संचय कर रहे हैं.
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