East Singhbhum News : वर्ष 2001 से बंद 350 बेड का मुसाबनी माइंस अस्पताल खंडहर बना, इलाज के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर हैं लोग
लोगों की मांग पर कई बार खोलने का प्रयास हुआ, लेकिन सफलता नहीं मिली, एक समय अस्पताल पर करीब तीन लाख की आबादी निर्भर थी
By AVINASH JHA | April 20, 2025 11:34 PM
मुसाबनी. एचसीएल (हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड) की ताम्र खदानों की बंदी से मुसाबनी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा भी प्रभावित हुई. माइंस बंदी के बाद वर्ष 2001 में एचसीएल ने 350 बेड का अत्याधुनिक मुसाबनी माइंस अस्पताल को बंद कर दिया. करीब 3 लाख की आबादी को आधुनिक चिकित्सा सेवा देने वाला 350 बेड के माइंस अस्पताल के करोड़ों का भवन अब खंडहर में तब्दील हो गया है. अस्पताल भवन की छत पर पेड़ उग गये हैं. भवन के छज्जे टूटकर गिर रहे हैं. भवन परिसर झाड़ियों से घिर गया है. वहीं क्षेत्र की जनता स्वास्थ्य सेवा के लिए जमशेदपुर व पड़ोसी राज्य ओडिशा के बारीपदा एवं पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम पर निर्भर है. समय पर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने के कारण कई लोगों की असमय मौत हो जाती है. गांव के लोग झोला- छाप डॉक्टरों व झाड़- फूंक के चक्कर में फंस रहे हैं.
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डॉ षाड़ंगी ने सबसे पहले किया प्रयास
माइंस अस्पताल को खोलने की पहल झारखंड के प्रथम स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश कुमार षाड़ंगी ने की थी. उन्होंने ने मणिपाल संस्था की मदद से अस्पताल को चालू करने व मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए प्रयास किये. इसके बाद शारदा ट्रस्ट समेत कई संस्थानों ने बंद पड़े माइंस अस्पताल को चालू करने में रुचि दिखायी. बंद अस्पताल भवन का निरीक्षण किया.
स्वास्थ्य मंत्री रहते बन्ना गुप्ता ने किया था निरीक्षण
आठ जनवरी, 2021 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बंद पड़े माइंस अस्पताल का निरीक्षण किया. स्थानीय लोगों ने अस्पताल को चालू कर जनजाति बहुल क्षेत्र के लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की मांग की. मंत्री ने आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया था. अबतक कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में निराशा है.
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