गोड्डा जिले में मवेशी तस्करों का गिरोह फिर से सक्रिय हो गया है. पशुओं को वाहन से तस्करी करने के अलावा पैदल भी तस्करी करायी जा रही है. विशेषकर जिस दिन बिहार के धोरैया आदि में हटिया होता है, उस दिन किसी न किसी वाहन अथवा पैदल पशुओं के जत्थे को गोड्डा में प्रवेश कराकर पाकुड़ की सीमा में प्रवेश करा दिया जाता है. पाकुड़ से पशुओं की तस्करी बंगाल में होती है. पहले पशुओं को वाहन में ठूंस कर बिहार की सीमा से गोड्डा में प्रवेश कराया जाता था, जिसमें मोतिया ओपी क्षेत्र के खटनई से सटे पंजवारा होते हुए व पोड़ैयाहाट के कंवराडोल होते हुए भी जिले की सीमा में पशुओं को प्रवेश कराया जाता था. हाल के दिनों में यह धंधा थमा तो नहीं है, बल्कि कम हुआ है. पशु तस्कर अब इन लफड़ों से बचने के लिए पैदल ही पशुओं के जत्थे को बंगाल ले जाते हैं और वहां बेच दिया जाता है. यह धंधा जिले में काफी दिनों से सक्रिय है. पशु तस्करों का यहां बड़ा कारोबार है. जानकारी के अनुसार गोड्डा से सटे धोरैया में पशुओ का बड़ा हाट लगता हैं .वहां से पशुओं की तस्करी बौंसी हाेते हुए झारखंड की सीमा में प्रवेश कराकर बंगाल तक पहुंचा दिया जाता है. गोड्डा में पशुओं की तस्करी कई रास्तों से होती है. इसमें राजाभिट्ठा होते हुए सुंदरपहाड़ी के रास्ते पशुओं को पाकुड़ के हिरणपुर होते हुए बंगाल की सीमा तक पहुंचाया जाता है. पुन: गोड्डा के पोड़ैयाहाट दांड़े कंवराडोल मार्ग से भी पशुओ की तस्करी बंगाल की सीमा तक होती है. इसमें संगठित गिरोह काम करता है. पहले पंजवारा होते हुए भी पशुओ को बंगाल टपाया जाता था, परंतु हाल के दिनों इस पर ब्रेक लगा है. पशु तस्कर अब इस मार्ग से होकर पशुओ की तस्करी नहीं करते हैं. राजाभिट्ठा मार्ग इन दिनों पशु तस्करी के लिए ज्यादा चर्चित हो गया है. हालांकि सभी पशुओं को सुंदरपहाड़ी होते हुए ही बंगाल की सीमा में पहुंचाया जाता है. कल रात शनिवार को भी जिला मुख्यालय के रौतारा चौक के समीप 50-60 की संख्या में पशुओं के जत्थे को देखा गया. स्थानीय युवक के टोका-टोकी करने पर पशु तस्कर वहां से कुछ देर के लिए मवेशियों को छोड़कर वहां से हट गये.
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