स्वच्छता के मोर्चे पर गिरा स्तर हजारीबाग नगर निगम को 705 और स्टेट रैंकिंग में 26वां स्थान मिला है. देवनारायण 22हैज1में- जलकुंभी से ढंका हजारीबाग झील हजारीबाग. झारखंड स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार की ओर से कराये गये स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 के ताजा आंकड़ों ने हजारीबाग की स्वच्छता व्यवस्था की पोल खोल दी है. तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में हजारीबाग शहर का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. राष्ट्रीय स्तर के स्वच्छता पायदान मे हजारीबाग नगर निगम को 705 और स्टेट रैंकिंग में 26वां स्थान मिला है. जबकि 2023-24 के स्वच्छता सर्वेक्षण में हजारीबाग नगर निगम राष्ट्रीय स्तर में 288 और राज्य स्तर के शहरों में आठवां स्थान प्राप्त किया था. हजारीबाग नगर निगम का स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. जिससे यह निचले पायदान पर आ गया है. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, हजारीबाग जो एक प्रमंडलीय मुख्यालय भी है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण ने स्वच्छता मानकों पर खरा उतरने में गंभीर विफलता दिखायी है. घर-घर कचरा संग्रहण की दर केवल 75 प्रतिशत रही, जो कि राष्ट्रीय मानकों से काफी कम है. सूखा और गीला कचरा अलग करने के मामले में 8 प्रतिशत, कचरो के प्रोसेसिंग में तीन प्रतिशत, कचरा स्थल उपचार या कचरा स्थल सुधार में हजारीबाग नगर निगम ने 100 प्रतिशत प्रदर्शन किया है. नगर निगम क्षेत्र में जल निकायों के स्वच्छता और सामुदायिक शौचालय के स्वच्छताओं में सर्वेक्षण टीम ने शून्य दिया है. जो काफी ज्यादा चिंताजनक है. इस लचर प्रदर्शन के चलते हजारीबाग को कचरा मुक्त शहर की श्रेणी में नो स्टार रेटिंग दी गयी है. भैया अभिमन्यु प्रसाद ने कहा कि कि हजारीबाग जैसे प्रमुख जिला मुख्यालय में स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही और व्यवस्था की खामियों के कारण शहर स्वच्छता के मानकों पर पिछड़ता जा रहा है. नगर निगम लगातार टैक्स बढ़ा रहा है. लेकिन स्वच्छता के मामले में फिसड्डी है. इस पर विचार करने की जरूरत है. गणेश कुमार सीटू ने कहा कि हजारीबाग पुराना जिला है. इसके बाद भी हम लोग स्वच्छता के मामले में पीछे रहे हैं. इस पर सभी को सोचना चाहिए. नगर निगम के अलावा आम आदमी को भी शहर की सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है. सहायक नगर आयुक्त अनिल पांडेय ने बताया कि मंडई में कचरा निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के तहत प्लांट का निर्माण किया गया है. प्लांट को चालू करने के लिए पर्यावरण विभाग से एनओसी लेने की प्रक्रियाधीन है. एफएसटीपी प्लांट बनकर तैयार है. शौचालय से निकलने वाले मलबे का निस्तारण कर इस प्लांट में खाद बनाया जायेगा. सूखा और गीला कचड़ा को अलग करने के लिए एजेंसी तय की गयी है. एजेंसी के माध्यम से घर-घर सूखा और गीला कचड़ा को अलग रखने के लिए डस्टबीन दिया जायेगा. अगले स्वच्छता सर्वेक्षण में हमलोग बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.
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