हजारीबाग. विनोबा भावे विवि के भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा झारखंड राज्य की आर्थिक खनिज निक्षेपों की भूविज्ञान एवं अन्वेषण पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से आये विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये और झारखंड की खनिज संपदा, उसकी संभावना, खोज और पर्यावरणीय दृष्टिकोण पर विचार रखे. संगोष्ठी में वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ परमजीत सिंह ने रणीगंज बेसिन की उत्पत्ति और थर्मल विकास पर एपेटाइट फिशन ट्रैक थर्मोक्रोनोलॉजिकल सीमाओं पर व्याख्यान दिया. वहीं विभावि के डॉ यशोदानंद झा ने बोकारो के बरन मेजर्स फॉर्मेशन की पैलिनोलॉजी और पर्यावरणीय पहलुओं पर अपना शोध प्रस्तुत किया. आइएसएम (आइआइटी) धनबाद के अप्लाइड जियोलॉजी विभाग के प्रो सहेंद्र सिंह ने सिंहभूम क्षेत्र की प्रोटेरोजोइक गोल्ड मेटालोजेनी और सोने की निष्कासन प्रक्रिया पर प्रकाश डाला. झारखंड सरकार के खान एवं भूविज्ञान विभाग के दुमका स्थित उप निदेशक कुणाल कौशल ने हजारीबाग में खनिज संसाधनों की संभावनाओं एवं अन्वेषण की दिशा पर प्रस्तुति दी. वीबीयू की ऋतु जया केरकेट्टा ने गढ़वा क्षेत्र से मिले लियोस्फेरेडिया के प्रारंभिक प्रतिवेदन के माध्यम से पर्मियन चट्टानों में मियोस्पोर रंगों द्वारा गहराई के इतिहास का आकलन प्रस्तुत किया. संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग के डॉ हर्षवर्धन कुमार ने झारखंड के क्रिटिकल मिनरल डिपॉजिट्स की संभावनाओं पर चर्चा की, जबकि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि, रांची के अनिल कुमार ने हिमाचल प्रदेश की पिन घाटी स्थित ताकचे फॉर्मेशन का पेट्रोग्राफिक अध्ययन प्रस्तुत किया. वीबीयू के डॉ भैया अनुपम ने लोअर गोंडवाना तलछटी के पर्यावरण पर शोध प्रस्तुत किया. दूसरे दिन 16 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये दूसरे दिन के विभिन्न तकनीकी सत्रों में कुल 16 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये. सत्रों की अध्यक्षता पूर्व कुलसचिव एवं भूगर्भशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार सिन्हा तथा डॉ बिपिन कुमार ने की. समापन सत्र में विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं आयोजक सचिव डॉ एसके सिन्हा ने भूवैज्ञानिक अध्ययन की महत्ता को रेखांकित करते हुए संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इस अवसर पर मानविकी संकायाध्यक्ष सह कुलसचिव डॉ सादिक रज्जाक भी उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन अभियग्यान शौनिक्य ने किया.
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