MP Election Results 2023: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत की 5 बड़ी वजह
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रही है. कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में पूरी तरह से फेल रही. चुनाव से पहले माना जा रहा था कि इस बार एमपी में सत्ता परिवर्तन होगा, लेकिन हुआ कुछ और ही.
By AmleshNandan Sinha | December 3, 2023 3:27 PM
छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मध्य प्रदेश में एक शानदार जीत के साथ सत्ता में लौटने की कगार पर है. ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के पास राज्य की 230 सीटों में से कुछ ही सीटें बचने वाली हैं. दोपहर एक बजे तक भाजपा 163 सीटों पर आगे थी, जबकि कांग्रेस 64 सीटों पर आगे थी. पिछले 20 वर्षों में से 18 वर्षों तक राज्य पर शासन करने के बावजूद, भाजपा सत्ता विरोधी लहर के किसी भी प्रभाव से बचती रही है. चुनाव से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी हवा है और कांग्रेस को इसका पूरा फायदा मिल जाएगा. लेकिन कांग्रेस इस लहर को भुनाने में विफल रही. हम पांच बड़े कारणों पर चर्चा करेंगे, जिसकी वजह से भाजपा दुबारा सत्ता में आने वाली है.
मध्य प्रदेश में भाजपा स्लोगन “मोदी के मन में एमपी, एमपी के मन में मोदी” था. इस अभियान ने आम लोगों को देश के प्रधानमंत्री से जोड़ा और भाजपा ने पूरे चुनाव अभियान को नरेंद्र मोदी पर केंद्रित कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी 14 रैलियों के माध्यम से मतदाताओं को यह समझाने में सफल रहे कि उनका मध्य प्रदेश पर विशेष ध्यान है. उन्होने कई सौगातों का भी भरोसा दिया और जनता ने उनपर विश्वास दिखाया.
मध्य प्रदेश का चुनाव अभियान कल्याणकारी कार्यक्रमों की लड़ाई बन गया. जिसे भाजपा जीतती दिख रही है. सत्तारूढ़ दल की लाडली बहना और किसान सम्मान निधि कार्यक्रमों ने जनता का विश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस नवंबर में दोनों योजनाओं के लाभार्थियों को उनके खातों में 1,250 और 10,000 रुपये प्राप्त हुए, जिससे मतदान से कुछ सप्ताह पहले मतदाताओं का विश्वास बढ़ा. भाजपा खुद को महिलाओं, गरीबों,दलितों और आदिवासियों की मददगार बताने में सफल रही.
भाजपा ने अपने चुनाव अभियान को सुचारू रूप से संचालित किया और राज्य की जनता को भरोसा दिलाया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से केंद्र सरकार की ओर से विशेष मदद मिलती रहेगी. नेताओं ने अपने प्रचार अभियान में एक “डबल इंजन” की सरकार के वादे को जनता के दिमाग मे स्थापित कर दिया. भाजपा अपनी पिछली सरकार की उपलब्धियों को भी बेहतर तरीके से गिनाने में सफल रही.
कांग्रेस मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में पूरी तरह से फेल हो गयी. पार्टी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर वोटरों से नहीं जुड़ पाए और चुनाव प्रचार के लिए अधिकतर सोशल मीडिया पर निर्भर रहे. शीर्ष नेताओं में भी वह एकजुटता नहीं दिखी. माना जा सकता है कि कांग्रेस का अभियान टुकड़ों में चला. देखा जाए तो कांग्रेस अपने घोषणापत्र के 1,200 वादों में से अधिकांश को लोगों तक पहुंचाने में विफल रही.
भाजपा ने मध्य प्रदेश के चुनाव प्रचार सिलसिलेवार ढंग से किया. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद किया और उन्हें जमीनी रूप से जुड़े रहने की सलाह दी. कार्यकर्ताओं ने इस चुनाव में अहम रोल निभाया. चुनाव से काफी पहले ही भाजपा अपने अभियान में जुट गई और हारी हुई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी, जिससे उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिला. अमित शाह ने खुद मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं से बात की.