Bhubaneswar News: तीर्थ नगरी पुरी में 27 जून (शुक्रवार) को भगवान जगन्नाथ की भव्य वार्षिक रथ यात्रा निकलेगी, जो आठ जुलाई को भगवान की वापसी के साथ समाप्त होगी. यात्रा से एक दिन पहले गुरुवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु 12वीं सदी के मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के ”नवयौवन दर्शन” के लिए उमड़ पड़े. श्रद्धालु सूर्योदय से पहले ही मंदिर के ”सिंह द्वार” पर पहुंच गये और ”रत्न बेदी” (गर्भगृह में पवित्र मंच) पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के ”नवयौवन दर्शन” (युवा रूप) किये.
11 जून से बंद थे देवताओं के दर्शन
स्नान अनुष्ठान के बाद 11 जून को भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के सार्वजनिक दर्शन बंद कर दिये गये थे. जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि स्नान अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अस्वस्थ हो जाने के कारण सार्वजनिक दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं. रथ यात्रा से पहले पखवाड़े भर तक वे ””अनासर घर”” (अलगाव कक्ष) में पृथक-वास में रहते हैं
नवयौवन वेश : नियुक्त सेवकों ने गुप्त रूप से किया अनुष्ठान
”नवयौवन वेश” पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ एक विशेष युवा पोशाक पहनते हैं, और यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ के कायाकल्प का जश्न मनाने के लिए किया जाता है. इस दिन को ”नेत्र उत्सव” भी कहा जाता है, जब मूर्तियों की आंखों को रंगा जाता है. मंदिर में गुप्त रूप से यह अनुष्ठान नियुक्त सेवकों द्वारा किया गया.
सुबह आठ से पूर्वाह्न 10:30 बजे तक खुला रहा मंदिर
बड़दांड पर दोपहर में शुरू होगी रथ यात्रा, तैयारी पूरीदिन के समय तीनों रथ मंदिर के मुख्य द्वार के सामने खड़े रहेंगे. दोपहर में उन्हें रथ खला (रथ यार्ड) से खींचा जायेगा. रथों को पार्क करने की रस्में निभायी जायेंगी. लकड़ी के तीन रथों का निर्माण पूरा हो चुका है और 27 जून को बड़दांड पर रथ यात्रा निकाली जायेगी. तीनों रथों में से ”तालध्वजा” भगवान बलभद्र का रथ है, देवी सुभद्रा का रथ ”देवदलन” और भगवान जगन्नाथ का रथ ”नंदीघोष” है.
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