Rourkela News: स्टेशन रोड स्थित राजस्थान परिषद का चुनाव रविवार को अमर भवन में संपन्न हुआ. जिसमें जुगल मारोठिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हराकर परिषद के नये अध्यक्ष बन गये. सामाजिक संगठन राजस्थान परिषद का वर्ष 2025-26 को लेकर रविवार को अमर भवन परिसर में निर्वाचन कराया गया. सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चुनाव के चेयरमैन राधेश्याम अग्रवाल सहयोगी सीए आरएम बागड़ी सीए पवन अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष संतोष पारिक तरुण मालानी अनूप टैबरीवाल की देखरेख में चुनाव कराया गया. राजस्थान परिषद में 1200 से अधिक आजीवन सदस्य हैं. जिसमें 654 सदस्यों ने चुनाव में भाग लिया.
संरक्षक पद के उम्मीदवार गोपाल जी बगड़िया को 421 वोट मिले
इस बार चुनाव को लेकर परिषद की आजीवन सदस्यों में महिलाओं एवं युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. दोपहर 2 बजे के बाद अमर भवन के सभा कक्ष में मतपत्रों की गिनती की गयी, जिसमें संरक्षक पद के उम्मीदवार गोपाल जी बगड़िया को 421 वोट मिले. उनके निकटतम उम्मीदवार बद्रीनारायण माहेश्वरी 252 वोट ही मिले. वहीं, अध्यक्ष पद के लिए जुगल मारोठिया 426 मत मिले जबकि विक्रम बोथरा को 250 वोट मिले. सचिव के रूप में ललित केजरीवाल को 421, वहीं निकटतम उम्मीदवार मनीष तोदी को 251 वोट मिले. उपाध्यक्ष नरेंद्र केडिया 327, विनोद नरेडी 363 वोट पाकर विजय हुए. वही वरुण सोमानी 309 एवं नरेश खेतान को 179 वोट मिले.
विजेताओं को गुलदस्ता भेंट कर किया गया सम्मानित
सह सचिव के रूप में मनोज अग्रवाल ने रवि बगड़िया को हराया. कोषाध्यक्ष मुकेश कड़िया ने संजय सोमानी को हराया, जबकि सह कोषाध्यक्ष दीपक मोदी ने श्याम पाटोदिया को हराया. संरक्षक समिति सदस्य सुरेश केजरीवाल ने सुनील कायल को हराया. वहीं कार्यकारिणी के रूप में दीपक सेन, अरविंद मोदी, अशोक मोदी, अशोक अग्रवाल, रंजन मारोठिया, नवीन जैन, दिनेश गिरिया, पप्पू मारोठिया, कन्हैया धुवालिया, विनोद कोठारी, धनराज अग्रवाल, कन्हैया किला, विवेक अग्रवाल, प्रकाश गोदारा ने जीत हासिल की. जीते हुए उमीदवारों को फूलों की माला एवं गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया. मौके पूर्व अध्यक्ष शैलेंद्र मारोठिया व अन्य परिषद पदाधिकारी एवं सदस्य शामिल थे.
राजस्थान परिषद के चुनाव में बाउंसर्स को लगाने पर हंगामा
राजस्थान परिषद की चुनाव प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात बाउंसर्स को देख एक सदस्य भड़क गये और हंगामा मचाया. उसका तर्क था कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है और पहली बार इस तरह की स्थिति देखी जा रही है. शोर-शराबा के कारण मौके पर कुछ समय के लिए माहौल अशांत हो गया. लेकिन बाद में परिषद के वरिष्ठ सदस्यों ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया. बाउंसर्स ने कहा कि हम अपनी मर्जी से नहीं आये, हमें संपर्क कर भुगतान किया गया है और हम अपना काम करने आये हैं. हंगामे के बीच चुनाव की प्रक्रिया अपनी रफ्तार से चलती रही और कोई खास असर नहीं पड़ा.
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