Rourkela News: राउरकेला के प्रसिद्ध वेदव्यास पीठ में सावन की आखिरी सोमवारी पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. घोघड़ धाम जाने से पूर्व कांवरियों ने वेदव्यास धाम में स्नान-ध्यान किया. बाद में यहां से पवित्र जल लेकर जिले के प्रसिद्ध शिव धाम की कांवर यात्रा पर रवाना हुए.
घोघड़ धाम, गुप्तेश्वर मंदिर और धवलेश्वर मंदिर रवाना हुए कांवरिये
पश्चिमी ओडिशा के अलग-अलग जिलों समेत पड़ाेसी छत्तीसगढ़ व झारखंड के सीमावर्ती अंचलों से भी कांवरियों की टोली यहां पहुंची थी. यहां पर सावन की आखिरी सोमवारी को लेकर रविवार की सुबह से ही कांवरियों से लेकर भोले बाबा के भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था. शाम के समय वेदव्यास त्रिवेणी संगम से जल उठाने के बाद कांवरियों का जत्था कांवर लेकर राजगांगपुर स्थित घोघड़ धाम के लिए रवाना हुआ. इसके अलावा कुछ कांवरियों की टोली यहां से कांवर लेकर बिरमित्रपुर स्थित गुप्तेश्वर मंदिर, लाठीकटा ब्लॉक के तरकेरा स्थित धवलेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के लिए रवाना हुई.
पुलिस-प्रशासन की ओर से की गयी थी कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था
सावन की अंतिम सोमवारी को प्रशासन की ओर से वेदव्यास त्रिवेणी संगम में भक्तों की सुविधा व सुरक्षा को लेकर उचित प्रबंध किये गये थे. प्रशासन की ओर से रविवार की शाम से लेकर सोमवार की सुबह तक भक्तों की सुरक्षा के लिए पुलिस की टीम गश्त भी करेगी. साथ ही एंबुलेंस की सेवा भी उपलब्ध रहेगी. इसके अलावा वेदव्यास से घोघड़ धाम जानेवाले मार्ग पर कई सामाजिक संगठनों की ओर से भक्तों के बीच चाय-पानी से लेकर अल्पाहार का वितरण करने की तैयारी की गयी है.
तरकेरा के धवलेश्वर शिव मंदिर में भक्तों के लिए लगा भंडारा
मानस परिषद की कांवरिया सेवा की रजत जयंती पूरी की
पवित्र श्रावण मास के अंतिम रविवार को मानस परिषद, राउरकेला ने अपनी 25 वर्षों की अनुपम कांवरिया सेवा परंपरा की अंतिम कड़ी को भव्य रूप से संपन्न किया. यह सेवा वर्ष 2000 में प्रारंभ हुई थी और तब से प्रत्येक सावन रविवार को हजारों की संख्या में शिवभक्त कांवरियों की सेवा मानस परिषद द्वारा की जाती रही है. इस अवसर पर राउरकेला के मानस मंदिर परिसर, हनुमान वाटिका में हजारों कांवरियों को पूड़ी, चने की सब्जी एवं स्वादिष्ट हलवा का प्रसाद वितरित किया गया. इस वर्ष की सेवा विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही क्योंकि मानस परिषद अपनी स्थापना के 65 गौरवपूर्ण वर्षं में प्रवेश कर चुकी है. इन वर्षों में संस्था का मूल उद्देश्य राम नाम का सुमिरन, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों का प्रचार तथा आचार, विचार एवं व्यवहार में उन आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा रहा है, जिसके लिए परिषद आज भी पूर्ण समर्पण के साथ कार्यरत है. मौके पर मानस परिषद के सियाकांत सिंह (अध्यक्ष), राजकुमार शुक्ल (सचिव) समेत मुरली मोहन राव, बिट्टू त्रिवेदी, गोरखनाथ श्रीवास्तव, वेद प्रकाश तिवारी, महिराज साहू, जितेंद्र पांडेय, राजेश द्विवेदी, महेश सिंह, अशोक पाठक, ओपी सिंह, शेखर प्रसाद, विनय मोहन झा, भोला प्रसाद, पवन श्रीवास्तव आदि का विशेष योगदान रहा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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