Rourkela News : सरकार आशा कर्मियों को वेतन, सामाजिक सुरक्षा देने समेत अन्य सुविधायें भी लागू करे. अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ (भारतीय मजदूर संघ) के आशा फेडरेशन के तृतीय त्रैवार्षिक अधिवेशन में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया. भुवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न विकास समिति (सेवा भारती) के सभागार में संपन्न आशा फेडरेशन के अधिवेशन की अध्यक्षता अनुपा विश्वकर्मा ने की. इसमें हिरणमय पांड्या अखिल भारतीय अध्यक्ष-भारतीय मजदूर संघ, सुरेंद्र कुमार पांडेय, अखिल भारतीय उप महामंत्री/ स्कीम प्रभारी -भारतीय मजदूर संघ, बादल महाराणा, प्रदेश अध्यक्ष-भारतीय मजदूर संघ, ओडिशा प्रदेश, आशा फेडरेशन की महामंत्री हेमलता के साथ भारत के प्रांतों से आये लगभग 200 आशा प्रतिनिधि उपस्थित रहे. अधिवेशन के उदघाटन सत्र में राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डाॅ मुकेश महालिंग भी उपस्थित थे. दो दिवसीय अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के आधीन पूरे देश में संचालित योजना (एनएचएम) मे लगभग 10 लाख 22 हजार 265 आशा वर्कर्स कार्यरत हैं. इन आशा कर्मियों के द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों को उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की जानकारी देने, उन्हें प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने, आवश्यक सेवाओं के प्रयोग के लिए परामर्श एवं व्यवस्था देने, जटिल प्रकरण को संदर्भित करने तथा स्वास्थ्य सेवा केन्द्र तक पहुंचाने में मदद करने, लोगों को साफ-सफाई एवं स्वच्छता का महत्व बताने, स्वच्छ पेयजल एवं शौचालय आदि बनाने में मदद करने जैसे कार्य इनके द्वारा किये जाते हैं. इन कार्यों को करने के एवज में सरकार के द्वारा आशा कर्मियों को कोई मानधन या वेतन नहीं दिया जाता है बल्कि उक्त कार्य के लिए संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन के अनुसार अल्प प्रोत्साहन राशि (इन्सेन्टिव) का भुगतान किया जाता है. 11 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेन्स के जरिये आशा वर्करों से वार्तालाप करते हुए आशा वर्कर्स की इंटेंसिव दो गुना करने का एलान किया था, किंतु तदाशय के सम्बन्ध में जब संबंधित मंत्रालय से पत्र निर्गत हुआ तो उसमें केवल रूटीन एवं रेकरिंग प्रकृति के अन्तर्गत संचालित पांच प्रकार की गतिविधि/कार्यों के लिए मिलने वाला इन्सेन्टिव जो 1000 रुपये था, वह बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया. शेष गतिविधि / कार्यों के लिए वर्तमान में निर्धारित इन्सेन्टिव की राशि/दर को यथावत रखा गया है. इसके कारण आशा वर्कर्स में हताशा व्याप्त है. प्रस्ताव में कहा गया है कि आंकड़ों पर यदि हम निगाह डालें तो हम पाते हैं कि जब से आशा वर्कर्स ने देश में कार्य करना प्रारम्भ किया है, जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है. उपरोक्त कार्यों के साथ-साथ अन्य प्रकार के कार्य जो राज्य सरकारें इन आशा कर्मियों से संचालित करवाती हैं ये कार्य महिला एवं बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग, सामाजिक कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभागों से सम्बंधित है. यह वही कार्य है जो राज्यों में कार्यरत सरकारी कर्मचारी भी करते हैं. इसलिए आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, आशा संगिनि, आशा फैसिलिटेटर, बीटीटी, कोआर्डिनेटर को क्रमशः प्रोत्साहन राशि (इन्सेन्टिव) एवं मानधन के स्थान पर वेतन भुगतान किया जाय.
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