Rourkela News: एनआइटी की टीम ने औद्योगिक अपशिष्ट जल की सफाई को फोटोकैटलिटिक गोलाकार कंक्रीट बीड्स विकसित किया
Rourkela News: एनआइटी की शोध टीम ने औद्योगिक अपशिष्ट जल की सफाई को फोटोकैटलिटिक गोलाकार कंक्रीट बीड्स विकसित किया है.
By BIPIN KUMAR YADAV | May 31, 2025 12:27 AM
Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), राउरकेला की शोध टीम ने एक पुन: उपयोग योग्य फोटोकैटलिस्ट प्रणाली विकसित की है, जो प्राकृतिक सूर्य प्रकाश का उपयोग कर औद्योगिक अपशिष्ट जल की सफाई करने में सक्षम है. गोलाकार कंक्रीट मोतियों (बीड्स) पर आधारित यह नवीन तकनीक औद्योगिक अपशिष्ट से होने वाले जल प्रदूषण के लिए एक कम लागत और पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान कर सकती है. इस शोध के निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ वाटर प्रोसेसिंग इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुए हैं. यह शोध पत्र एनआइटी राउरकेला के बायोटेक्नोलॉजी और मेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो शुभंकर पॉल, शोध स्नातक डॉ सोहेल दास और शोधार्थी उमा शंकर मंडल द्वारा सह-लेखित है. शोध टीम ने विकसित की गयी तकनीक पर दो पेटेंट भी दायर किये हैं, जिनका आविष्कार प्रो शुभंकर पॉल, उमाशंकर मंडल, आशुतोष सिंह और डॉ सोहेल दास द्वारा किया गया है.
वैश्विक चिंता का विषय है जल स्रोतों में रासायनिक अपशिष्ट का प्रवाह
एनआइटी की टीम ने निकाला समाधान
इन चुनौतियों से निबटने के लिए एनआइटी राउरकेला के शोधकर्ताओं ने प्रो एस पॉल के नेतृत्व में एक इनोवेटिव फोटोकैटलिस्ट प्रणाली विकसित की है. इस प्रणाली में आयरन-डोप्ड नैनो-टाइटेनिया (Fe-nTiO₂) को ग्रैफीन ऑक्साइड के साथ जोड़ कर विशेष रूप से डिजाइन किये गये गोलाकार कंक्रीट मोतियों पर स्थिर किया गया है. यह बीड्स कोयले की छाई (फ्लाई ऐश) से प्राप्त जिओलाइट का उपयोग कर ग्रीन कंक्रीट से बनाये गये हैं, जो औद्योगिक अपशिष्ट के पुनः उपयोग का एक सतत तरीका है और उच्च यांत्रिक मजबूती, छिद्रता तथा अवशोषण क्षमता प्रदान करता है. यह कंपोजिट सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अपशिष्ट जल में मौजूद विषैले प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से तोड़ने में सक्षम है.
बड़े पैमाने पर अपशिष्ट जल के तेजी से उपचार का स्थायी समाधान दे सकती है तकनीक
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