Rourkela News: एनआइटी के शोधार्थियों के नवाचार से बदलते मौसम में सौर पैनलों की अधिकतम ऊर्जा ग्रहण करने की बढ़ेगी क्षमता

Rourkela News: एनआइटी के शोधार्थियों ने स्वच्छ ऊर्जा नवाचार विकसित किया है. यह बदलते मौसम में भी सोलर पैनलों से अधिकतम बिजली प्राप्त करने में सक्षम है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 28, 2025 12:12 AM
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Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), राउरकेला की एक शोध टीम स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में सौर ऊर्जा प्रणालियों को अधिक कुशल, किफायती और विश्वसनीय बनाने की दिशा में काम कर रही है. एनआइटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर प्रो सुसोवन सामंता ने अपनी शोध टीम (शताब्दी भट्टाचार्य, पीएचडी की छात्रा और मधुस्मिता बारिक, डुअल डिग्री की छात्रा) के साथ मिल कर कम लागत की एक प्रौद्योगिकी का नवाचार किया है, जो बदलते मौसम में भी सोलर पैनलों से अधिकतम बिजली प्राप्त करने में सक्षम है.

विकसित तकनीक के लिए पेटेंट हासिल किया

स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पहल (सीइआरआइ) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित शोध दल को विकसित तकनीक के लिए पेटेंट (पेटेंट टाइटल: मेथड एंड सिस्टम फॉर वोल्टेज सेंसर-बेस्ड मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग फॉर फोटोवोल्टिक सिस्टम, पेटेंट संख्या 543360, आवेदन संख्या 202231039742) प्रदान किया गया है. सोलर पैनल सूर्य प्रकाश से बिजली का उत्पादन करते हैं, लेकिन तापमान और सूर्य के प्रकाश की तीव्रता में बदलाव के कारण पूरे दिन बिजली उत्पादन की मात्रा में भी परिवर्तन होता रहता है. इसलिए सोलर पैनल जहां तक संभव हो, हमेशा अधिकतम ऊर्जा उत्पादन के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसे मैक्सिमम पावर पॉइंट ट्रैकिंग (एमपीपीटी) कहते हैं. यह एक स्मार्ट सिस्टम है, जो सूर्य प्रकाश और तापमान में परिवर्तन के अनुसार वोल्टेज और करंट को समायोजित करते हुए सोलर पैनलों को यथासंभव अधिकतम बिजली का उत्पादन करने में मदद करता है. इसमें एक माइक्रो कंट्रोलर होता है, जो एमपीपीटी एल्गोरिदम चालू कर सेंसर की मदद से वोल्टेज और करंट को मापता है और इसके साथ-साथ एक डीसी-डीसी कन्वर्टर होता है, जो बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करता है. यह सिस्टम सोलर पैनल के आउटपुट की निरंतर निगरानी रखता है और इसके अधिकतम दक्षता पर काम करने के लिए जरूरी समायोजन भी करता है. इस तरह कम से कम ऊर्जा बर्बाद होती है. एमपीपीटी की अब तक प्रचलित विधियों में ऊर्जा की बर्बादी होती है और बदलते मौसम के अनुसार काम करने की इसकी गति भी धीमी होती है. इतना ही नहीं, इनके लिए महंगे करंट सेंसर भी चाहिए. इस वजह से कम लागत के सोलर सेटअप के लिए किफायती नहीं रह जाती हैं.

एमपीपीटी विधि विकसित की, घटेगी जटिलता व लागत

बिजली के मामूली उतार-चढ़ाव को रोकने में सक्षम

एनआइटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर प्रो सुसोवन सामंता ने इस नवाचार के बारे में बताया कि हमारी तकनीक बिजली के मामूली उतार-चढ़ाव को रोकने में सक्षम है, जबकि पुरानी तकनीकों के लिए यह चुनौती रही है. इसलिए हमारी तकनीक से स्थिरता और कुशलता के साथ बिजली प्राप्त करना सुनिश्चित होगा. यह तकनीक सूर्य प्रकाश और तापमान में होने वाले बदलावों के अनुसार जल्द सुधार करने में सक्षम है. इसलिए यह सिस्टम लगातार अधिकतम दक्षता के साथ काम कर सकता है. इसके अलावा चूंकि हमारे सिस्टम में सिर्फ एक वोल्टेज सेंसर या एक सरल रेसिस्टर डिवाइडर सर्किट का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसकी जटिलता और लागत भी कम हो जाती है. इसके डिजाइन में अनुकूलन की सुविधा है, इसलिए विभिन्न सौर ऊर्जा सेटअप में इसका आसानी से समावेश किया जा सकता है. अपनी इन खूबियों के साथ यह हर तरह के उपयोगों के लिए तैयार है. प्रो सामंता की टीम के शोध आइइइइ ट्रांजेक्शन ऑन सस्टेनेबल एनर्जी और आइइइइ ट्रांजेक्शन ऑन इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं.

हो सकता है व्यापक इस्तेमाल

-कम लागत वाले उपभोक्ता सौर उत्पाद जैसे होम लाइटिंग सिस्टम और पोर्टेबल सोलर चार्जर, जिनके लिए सबसे अधिक विचार लागत और सक्षमता पर किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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