Rourkela News: एनआइटी राउरकेला को पर्यावरण अनुकूल बायोफिल्म तकनीक के लिए मिला पेटेंट
Rourkela News: औद्योगिक प्रदूषकों को नष्ट करने में सहायक पर्यावरण अनुकूल बायोफिल्म तकनीकी के लिए एनआइटी राउरकेला को पेटेंट मिला है.
By BIPIN KUMAR YADAV | July 25, 2025 12:03 AM
Rourkela News: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) राउरकेला की शोध टीम को एक नयी बैक्टीरियल बायोफिल्म तकनीक के लिए पेटेंट (पेटेंट संख्या 567617, पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार) प्राप्त हुआ है, जो फेनैंथ्रीन नामक विषैले पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) को विघटित करने में सक्षम है. यह प्रदूषक औद्योगिक रासायनिक कचरे में सामान्यतः पाया जाता है. पारंपरिक तरीकों के विपरीत, यह तकनीक एक पर्यावरण-अनुकूल, प्रभावी और लागत-कुशल समाधान प्रदान करती है.
न्यूट्रिएंट-रिच लूरिया बर्टानी ब्रॉथ का उपयोग करके बायोफिल्म को किया विकसित
पीएएचएस खतरनाक जैविक यौगिक होते हैं, जो जीवाश्म ईंधन के दहन, औद्योगिक उत्सर्जन और तेल रिसाव के माध्यम से मिट्टी और जल को प्रदूषित कर सकते हैं. परंपरागत रूप से इस चुनौती से निपटने के लिए रासायनिक ऑक्सीकरण या मिट्टी की खुदाई जैसे उपाय अपनाये जाते हैं, जो महंगे होने के साथ-साथ द्वितीयक प्रदूषण भी उत्पन्न करते हैं. एनआइटी राउरकेला द्वारा विकसित तकनीक इस वैश्विक समस्या का सस्ता विकल्प प्रदान करती है. विकसित की गयी बायोफिल्म एक बाह्य कोशिकीय पॉलिमरिक मैट्रिक्स के भीतर उपसरणीय सतह से चिपकी हुई कोशिकाओं से बनी है. शोधकर्ताओं ने इस बायोफिल्म को न्यूट्रिएंट-रिच लूरिया बर्टानी ब्रॉथ का उपयोग करके विकसित किया.
पेट्रोकेमिकल उद्योग के साथ सहयोग की संभावनाएं भी खोलती है तकनीक
तकनीक को और अधिक कठोर प्रदूषकों पर आजमायेगी शोध टीम
शोध के प्रभाव पर बात करते हुए शोध स्नातक डॉ कुमारी उमा माहतो ने कहा कि विकसित तकनीक औद्योगिक तेल रिसावों के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकती है, जहां फेनैंथ्रीन और अन्य पीएएचएस समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं. यह उच्च औद्योगिक गतिविधि वाले क्षेत्रों और अपर्याप्त प्रदूषण नियंत्रण अवसंरचना वाले इलाकों में भी अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगी. यह अध्ययन अपशिष्ट जल उपचार प्रणालियों और प्रदूषित जल निकायों में स्थायी जैविक प्रदूषकों के उन्नत विघटन के लिए बायोफिल्म आधारित प्रणालियों की संभावनाओं को रेखांकित करता है. अगले चरण में, शोध टीम इस तकनीक को और अधिक कठोर प्रदूषकों पर आजमायेगी, ताकि इसका विस्तृत उपयोग सुनिश्चित किया जा सके. इसके साथ ही, शोधकर्ता इस तकनीक को प्रयोगशाला से निकालकर व्यावहारिक और बड़े स्तर पर लागू करने के लिए सहयोगी संस्थाओं की तलाश कर रहे हैं.
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