Bhubaneswar News : पं रघुनाथ मुर्मू के आवास को तीर्थ स्थल व समाधि को स्मृति पीठ के रूप में विकसित किया जायेगा

मयूरभंज जिले के रायरंगपुर अंतर्गत महुलडीहा में गुरु गोमके पं रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती पर आयोजित हुआ राज्यस्तरीय समारोह

By SUNIL KUMAR JSR | May 12, 2025 11:47 PM
an image

Bhubaneswar News : संथाली भाषा की ओलचिकी लिपि के आविष्कार का शताब्दी वर्ष तथा गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती पर राज्यस्तरीय समारोह सोमवार को मयूरभंज जिले के रायरंगपुर अंतर्गत महुलडीहा क्षेत्र में भव्य रूप से मनाया गया. इस अवसर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में शामिल हुए और दांडबोश क्षेत्र में स्थित पंडित मुर्मू के पैतृक निवास को स्मारकीय तीर्थ स्थल तथा उनकी समाधि को ऐतिहासिक स्मृति पीठ के रूप में विकसित करने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि ओलचिकी लिपि की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक राज्यभर में विविध कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे और संताली भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जायेगा. साथ ही, पंडित मुर्मू द्वारा रचित समस्त पुस्तकों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बारीपदा में एक ओलचिकी पुस्तकालय की स्थापना की जायेगी. इसके अलावा, पंडित रघुनाथ मुर्मू ओपन थिएटर-संग्रहालय और उनकी कर्मभूमि में एक ऐतिहासिक भवन की स्थापना भी की जायेगी. इन सभी कार्यों के लिए मुख्यमंत्री ने 50 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की. समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित मुर्मू का जीवन केवल एक व्यक्ति की जीवनी नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक चेतना, एक कला और संस्कृति की यात्रा है. ओलचिकी लिपि के 100 वर्ष केवल एक आविष्कारक की मानसिक रचना का सम्मान नहीं, बल्कि यह एक जनजातीय भाषा, संस्कृति और अस्मिता की मुक्त अभिव्यक्ति का प्रतीक है. उनकी लिपि का आविष्कार केवल शब्दों का परिवर्तन नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक विकास का एक नया अध्याय था. मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा सरकार ने सदैव ओलचिकी लिपि और संथाली भाषा को गहन दृष्टि और संवेदनशीलता के साथ महत्व दिया है. प्राथमिक शिक्षा में संथाली भाषा को शामिल करना, पाठ्यपुस्तकों का निर्माण, शिक्षकों का प्रशिक्षण और भाषा शोध केंद्रों की स्थापना के माध्यम से हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके सपनों को साकार करने के लिए संताली भाषा, साहित्य और संस्कृति की रक्षा और प्रचार-प्रसार की दिशा में कार्यों को और अधिक सशक्त किया जायेगा. ओड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा कि गुरु गोमके एक ऐसे पुष्प थे, जो मुरझाने के बाद भी अपनी सुगंध फैलाते रहते हैं. वहीं, गृहनिर्माण एवं शहरी विकास मंत्री डॉ कृष्णचंद्र महापात्र ने पंडित मुर्मू को एक अलौकिक शक्ति से युक्त व्यक्तित्व बताया. वन एवं पर्यावरण मंत्री गणेशराम सिंखुटिया ने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से आज इतिहास पुनर्जीवित हो उठा है.

संबंधित खबर और खबरें

 

 

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version