उन्होंने बताया कि जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नैनी केंद्रीय जेल की एक पुरानी महिला बैरक को अस्थाई जेल घोषित किया गया है, जिसमें इन लोगों को रखा गया है. इस बैरक में सामाजिक मेल जोल से दूरी का पालन करते हुए प्रत्येक कैदी को एक-एक बर्थ दिया गया है. पुलिस अधीक्षक (नगर) बृजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, “जमात के विदेशी सदस्यों में शामिल सात इंडोनेशियाई नागरिकों को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिद ने अब्दुल्ला मस्जिद में ठहराने की सिफारिश मुतवल्ली से की थी और इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी गयी थी.”
उन्होंने बताया कि पुलिस ने सभी को विदेशी अधिनियम का उल्लंघन करने, षड़यंत्र में शामिल होने और मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. शिवकुटी पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार कर थाने में रखा था, जबकि अन्य लोगों को पृथकवास केंद्र में रखा गया था. श्रीवास्तव ने बताया कि गिरफ्तार कर जेल भेजे गये आरोपियों में इंडोनेशिया के सात लोग, थाइलैंड के नौ लोग और केरल एवं पश्चिम बंगाल का एक-एक व्यक्ति शामिल है.
इंडोनेशियाई लोगों में एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित था, जिसका इलाज कोटवा बनी में किया गया. पुलिस ने इस मामले में अब्दुल्ला मस्जिद और करेली के हेरा मस्जिद से जुड़े कई लोगों को भी गिरफ्तार किया था. थाइलैंड के नौ लोग करेली के हेरा मस्जिद में रुके थे. उन्होंने बताया कि पुलिस को जांच में पता चला कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज के तबलीगी जमात में विदेशी नागरिकों के साथ प्रोफेसर सहित कई अन्य लोग भी शामिल हुए थे. प्रोफेसर ने जमात में शामिल होने की बात भी पुलिस से छिपायी थी. पुलिस अधीक्षक (नगर) ने बताया कि जांच में यह भी सामने आया कि ये सभी विदेशी टूरिस्ट वीजा पर भारत आये थे, लेकिन यहां धर्म प्रचार के कार्य में लगे थे.