बलिया SP और फेफना थानेदार गैंगस्टर से साझा कर रहे सूचना, पूना सिंह अभी भी वाट्सएप ग्रुप में शामिल

सोशल मीडिया पर एक वाट्सएप चैट का स्क्रीन शॉट वायरल हो रहा है. वायरल चैट का स्क्रीन शॉट फेफना थानाध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक बलिया का पीआरओ सेल से लिया जा सकता है. दरअसल,जिले के फेफना थाने की पुलिस एक वाट्सएप ग्रुप पीएस फेफना ही नाम से चलाती है.

By Radheshyam Kushwaha | March 27, 2023 5:50 PM
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बलिया. उत्तर प्रदेश के बलिया पुलिस शासन और पब्लिक के बीच में अपनी कार्रवाई का झूठा स्वांग रचती है. अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस गैंगस्टर और अन्य प्रभावी कार्य करती रहती है, पर सब यह है कि गैंगस्टर को भी पुलिस माननीयों की श्रेणी में रखती है. इस दोहरा मापदंड का ताजा तरीन उदाहरण है पूना सिंह जी को देवनारायण पूना सिंह जिसका नाम बलिया के दांत सूदखोरों में शुमार है. गन व्यापारी नन्दलाल गुप्ता आत्महत्या मामले में बारह आरोपियों में से एक है. नन्दलाल गुप्ता आत्महत्या मामले में लगभग चालीस दिनों तक पूना सिंह जेल में रह चुका है. जमानत मिलते से पूना सिंह पर पुलिस ने गैगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है. लेकिन, पूना सिंह को अभी तक पुलिस ग्रुप में माननीय का दर्जा हासिल है. एक वाट्सएप चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. हालांकि इसकी पुष्टि प्रभात खबर नहीं करता है. इसकी सच्चाई क्या है, ये तो जांच का विषय है.

वायरल चैट का स्क्रीन शॉट फेफना थानाध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक बलिया का पीआरओ सेल से लिया जा सकता है. दरअसल, जिले के फेफना थाने की पुलिस एक वाट्सएप ग्रुप पीएस फेफना ही नाम से चलाती है. इस ग्रुप के एडमिन और सदस्यों को जोड़ने और हटाने का पूर्ण अधिकार थानाध्यक्ष फेफना (सीयूजी नम्बर 9454402996) और पीआरओ सेल एसपी बलिया (सीयूजी नम्बर 9454403014) है. इस ग्रुप में लगभग 95 सदस् शामिल है. पुलिस ने जिन लोगों को इस ग्रुप में रखा है, यह या तो माननीय है या पत्रकार है. इस ग्रुप में अक्सर महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रेषित होती है. सवाल यहां यह है कि इस वाट्सएप ग्रुप में पीएस फेफना ने पूना सिंह कैसे जोड़ रखा है. जबकि पूना सिह फेफना थाना इलाके का रहने वाला भी नहीं है.

दूसरा सूद के अवैध कारोबार में पूना सिह गन व्यापारी नन्दलाल गुप्ता आत्महत्या के मामले से पहले भी कई मुकदमों में आरोपित रह चुका है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि गन व्यापरी नन्दलाल गुप्ता आत्महत्या का मामला काफी चर्चा में रहा. आरोपियों को गिरफ्तारी के लिए पुलिस को इनाम भी घोषित करना पड़ा था. इस दौरान पूना सिंह पुलिस के इस ग्रुप में चुपके से बने रहने से वाकिफ होता रहा. गिरफ्तारी के बाद वह काफी दिनों जेल में रहा और उसका नम्बर इस ग्रुप में बना रहा. जब उस पर गैगस्टर की कार्रवाई हुई है, फिर भी वह इस ग्रुप में बना हुआ है. सबसे अहम बात यह है कि इस तरह के आरोपी की पुलिस के अन्य ग्रुप में तो नहीं बने हुए है. अगर हां तो इनको ग्रुप में जोड़कर अबतक संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों पर सवाल खड़ा हो रहा है.

गैंगस्टर के इस मामले में हो सकता है बलिया पुलिस का वारा न्यारा करने वाला जवाब आए. लेकिन इससे पुलिस अपने को पाक साफ नहीं साबित कर सकती. गन व्यापारी आत्महत्या मामले में आरोपी बनाये गए 12 लोगों में से कइयों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई पुलिस की संस्तुति पर जिलाधिकारी ने किया. पुलिस ने आरोपियों के शस्त्र निरस्त्रीकरणकों विज्ञप्ति भी जारी की. उस विज्ञप्ति में गैंगस्टर के शस्त्र लाइसेंस के निरस्त होने का नाम नहीं था. इसके पीछे कहानी कुछ और हो. लेकिन सूत्र दावा करते हैं कि गैंगस्टर और कुछ अन्य ऐसे आरोपित थे, जिनके शस्त्र निरस्त्रीकरण का नाम पुलिस के विहित में नहीं था. जिसको लेकर जिले के फिजाओं में कई दिनों तक चर्चा बनी रहे.

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